Thursday, June 30, 2016
Wednesday, June 29, 2016
Tuesday, June 28, 2016
Monday, June 27, 2016
जब तक न हो ख़ून से हाथ रंगे
जब तक न हो
ख़ून से हाथ रंगे
सिंहासन नसीब नहीं होते
न राम, न कृष्ण, न देव कोई
कभी पूजनीय नहीं होते
यदि विषमताएँ
हमें होतीं अप्रिय
तो कृष्ण अमीर
और सुदामा ग़रीब नहीं होते
भेदभाव जो है
है वो सदियों से
वरना राम के होते
भरत मनोनीत नहीं होते
नाहक ही हुआ
कलयुग बदनाम यहाँ
किस युग में
छल-कपटी जीव नहीं होते
ऐसा भी नहीं कि
जो होता आया वही आगे होगा
पर हाथ पे हाथ धरे रहने से तो
हालात तब्दील नहीं होते
27 जून 2016
दिल्ली । +91 88004 20323
Saturday, June 25, 2016
Friday, June 24, 2016
किनारे दूर ही रहे
किनारे दूर ही रहे
तो अच्छा लगता है
दरिया जिसका नाम है
वो बहता रहता है
आते-जाते राह में
फूल-शूल भी आएँगे
क़ुदरत का ये खेल निराला
चलता रहता है
बातों ही बातों में मीत
बन तो जाएँगे
पर दिल का रिश्ता
दिलवालों से ही मिल के बनता है
चाँद घटा है, चाँद बढ़ा है
सब नज़रों का धोखा है
अपना-अपना दृष्टिकोण सबको
छलता रहता है
अपनी-अपनी सीमाएँ सबकी
अपना-अपना #Brexit
कहने को सब इन्सान हैं लेकिन
फ़र्क़ बढ़ता रहता है
24 जून 2016
अम्स्टरडम एयरपोर्ट
Http://tinyurl.com/rahulpoems
मैं 25 जून से 6 जुलाई तक दिल्ली में हूँ। इस बीच 2 दिन मुम्बई में - 2 और 3 जुलाई।
सम्पर्क : +91 88004 20323
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:02 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: relationship
हम अनलिख हैं
पहले अपने हाथों में
अपना भविष्य होता था
आजकल 'ब्रैन' है
जो खो जाए कहीं
तो हो जाते बेचैन है
अपनों के
नम्बर, जन्मदिन
कुछ भी याद नहीं हैं
गली, मोहल्ला, शहर तो दूर
प्रांत, देश तक भी ज्ञात नहीं हैं
मुम्बई वाला देहरादून में है
हांगकांग वाला थाईलैण्ड में
प्रीतमपुर वाला गांधीनगर में है
दिल्ली वाला शिलांग में
और किसी को कानों-कान ख़बर नहीं
हज़ारों आँकड़े
इधर से उधर करते रहते हैं
लेकिन अपने बारे में
दो-चार पंक्तियाँ लिखने से कतराते हैं
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख हैं
सात समंदर
दशावतार
दुर्गा के नवरूप
दुनिया के सात अजूबे
सब की विस्तृत जानकारी
सबको देते जाते हैं
लेकिन पलट के कोई पूछ ले
तो बग़लें झाँकने लगते हैं
पहले ज्ञानी वो होता था
जिसे ज्ञान हो
आजकल वो
जो भेजे
चाहे उसके ख़ुद के भेजे में कुछ गया न हो
पहले अनपढ़ अँगूठा लगाते थे
आजकल पढ़े-लिखे
लिखने के बजाय
अँगूठा दिखाने में
बुद्धिमानी समझते हैं
(वो क्या है ना, समय बच जाता है)
और वो भी स्मार्टफ़ोन पर
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख है
और कभी-कभार
कुछ लिख भी दिया
तो आधे-अधूरे शब्द
भाषा खिचड़ी
और लिपि शुद्ध रोमन
देवनागरी पढ़ सकते हैं
लेकिन लिखने में हज़ारों कष्ट
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख है
23 जून 2016
लेब्राडोर समंदर के 39000 फ़ीट उपर
Http://tinyurl.com/rahulpoems
मैं 25 जून से 6 जुलाई तक दिल्ली में हूँ। इस बीच 2 दिन मुम्बई में - 2 और 3 जुलाई।
सम्पर्क : +91 88004 20323
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:01 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: digital age
Thursday, June 23, 2016
Wednesday, June 22, 2016
Tuesday, June 21, 2016
Sunday, June 19, 2016
Saturday, June 18, 2016
Friday, June 17, 2016
मन में एक हूक सी उठती है
जब भी
होती है बरसात
लिपटता है बादल
महकती है धरती
स्मृति-पटल पर खींच जाती है
धुन
किसी भूले-बिसरे गाने की
मन में एक हूक सी उठती है
घर जाने की
डायबिटीज़ भी है
कोलेस्ट्रोल भी है
पर चाह कहाँ मिट पाती है
माँ के हाथ के खाने की
पकेगा तो
कोई न कोई तो खा ही लेगा
मेरे लिए तो
ख़ुशबू ही काफ़ी है
सूजी के भुन जाने की
कहती है माँ
अब तू
कितना कम आने लगा है
क्या तुझे भी
लत लग गई कमाने की
इस उम्र में भी
यदा-कदा
निकल आते हैं आँसू
बहनें होतीं तो
बहने न देतीं
कोशिश करतीं मनाने की
17 जून 2016
सिएटल | 425-445-0827
Http://tinyurl.com/rahulpoems
Thursday, June 16, 2016
Wednesday, June 15, 2016
Tuesday, June 14, 2016
Monday, June 13, 2016
Sunday, June 12, 2016
जोड़-तोड़ श्रंखला #30
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:33 AM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: riddles
Saturday, June 11, 2016
Friday, June 10, 2016
जोड़-तोड़ श्रंखला #28
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:15 AM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: riddles
Thursday, June 9, 2016
Wednesday, June 8, 2016
Tuesday, June 7, 2016
Monday, June 6, 2016
Sunday, June 5, 2016
Saturday, June 4, 2016
Friday, June 3, 2016
Thursday, June 2, 2016
Wednesday, June 1, 2016
Subscribe to:
Posts (Atom)