Sunday, July 28, 2024

ख़ूबसूरती

हर शहर की ख़ूबसूरती 

दो चार इमारतों तक ही सीमित है उसके बाद 

फिर वही घर 

जिनमें टीवी है

किचन है 

कचरा है 

जूठे बर्तन हैं 


उन घरों में रहने वाले 

बाशिंदे 

इन इमारतों पर 

पल दो पल भी निगाह नहीं डालते हैं मवेशियों की तरह 

सुबह निकल जाते हैं 

और शाम को रम्भाते हुए 

लौट आते हैं 


हाँ, मनुष्य हैं 

सो घरों की दीवारों पर 

चीख-चीखकर कहते हैं 

कि देखो दुनिया कितनी ख़ूबसूरत है हम भी गये थे देखने 

तुम भी जाना


राहुल उपाध्याय । 28 जुलाई 2023 । द हैग 


Friday, July 26, 2024

श्रेणियाँ

अब हम कुत्तों को भौंकने नहीं देते हैं 

उनकी प्रजनन शक्ति को निष्क्रिय कर देते हैं 

पूरी ज़िंदगी जीने नहीं देते हैं 

दरियादिली से उन्हें अपनी मर्ज़ी से सुला देते हैं 


फ़्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन के लिए

नारे लगते हैं 

आंदोलन चलते हैं 

और जिन्हें हम अपने बच्चे मानते हैं 

परिवार का सदस्य कहते हैं 

गले लगाते हैं 

मल उठाने को तत्पर रहते हैं 

उन्हें ही भौंकने से रोक देते हैं 


हमें अपना दोगलापन दिखता नहीं है 


चाहे फिर वो घर में काम करनेवाला रामू हो

या उसी की उम्र का अपना बेटा

या भतीजी

या दफ़्तर का चपरासी

या कम्पनी का चेयरमैन 

या महबूबा 


हम श्रेणियों में जीवन बीताने के आदी हो गए हैं

इंसान को देखकर

कैमिकल्स रिएक्ट करते हैं 

रंग बदलते हैं 


राहुल उपाध्याय । 26 जुलाई 2024 । ऐम्सटरडम








Monday, July 22, 2024

आओ चोर-सिपाही खेलें

आओ चोर-सिपाही खेले

सिपाही नहीं तो वकील ही ले ले

जो चोर की चोरी सबको बता दे

जनता जनार्दन को जज बना दे

फिर देखें लोकतंत्र का जलवा

दूध का दूध और पानी का पानी हो के रहेगा


राहुल उपाध्याय । 23 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम


Sunday, July 21, 2024

मैं ये सोचकर उसको वोट दे रहा था

मैं ये सोचकर उसको वोट दे रहा था

के वो जीत जाएगा, हरा देगा उसको


हवाओं से ऐसा लगता था जैसे

के वो जेल जाएगा, सब पूजेंगे इसको


केस पे केस उसपे चल रहे थे

नोमिनेशन न पाएगा भरोसा था मुझको


मगर क्या हुआ ये

भाग गया ये

चुनाव कहाँ ये

क्या हश्र हुआ ये

महीनों की मेहनत पे

पानी फिरा रे


बाक़ी बचे सौ दिन में क्या अब बनेगा

जो अब तक हुआ ना क्या हो रहेगा?


राहुल उपाध्याय । 22 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम






Saturday, July 20, 2024

नदी की हर बूँद

नदी की हर बूँद 

सागर से मिल नहीं पाती है 

मिट जाती है 

किसी की प्यास बुझाने में

सूखे दरख़्त को जीवन देने में 

कालिदास की शकुंतला के बाल धोने में

गर्मी में झुलसकर बादल बनने में 


क्या ज़रूरी है?

सागर से मिलना 

या कपड़े धोना?

मोक्ष प्राप्ति 

या स्याही को रंग देना?


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम


इतवारी पहेली: 2024/07/21


इतवारी पहेली:


चैपलिन का नाम था #%# 

न एक गाली दी, न ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 28 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2024 । ऐम्स्टरडम 



Re: इतवारी पहेली: 2024/07/14



On Mon, Jul 15, 2024 at 4:55 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


भर ले तन, भर # ##

दाल पका, निचोड़ ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 21 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2024 । सिएटल 



Sunday, July 14, 2024

इतवारी पहेली: 2024/07/14


इतवारी पहेली:


भर ले तन, भर # ##

दाल पका, निचोड़ ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 21 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2024 । सिएटल 



Re: इतवारी पहेली: 2024/07/07



On Sat, Jul 6, 2024 at 11:13 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


बताओ कैसा बच्चा # ##

कि बर्तन न पड़े उसे ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2024 । सिएटल 



Sunday, July 7, 2024

चाँद पर माहौल नहीं है

चाँद पर माहौल नहीं है 

चाँद से टूटा तार मेरा

दो बेडरूम का घर है काफ़ी 

बसा जहां संसार मेरा


हवा नहीं है, जीव नहीं है

मानवता की नींव नहीं है

रूखा-सूखा, धूल सना सा

किसी काम का कुछ भी नहीं है

रूप-नूर सब झूठी बातें 

ख़ुद का प्रकाश भी पास नहीं 

सदियों से जिसे जग ने पूजा

उसको है इंकार मेरा


जिसको चाहूँ, उसको चाहूँ 

किसी तरह की रोक नहीं है 

रिश्ते-नाते और बिरादरी 

किसी तरह की धौंस नहीं है 

अपना-अपना सबका जीवन 

सबको सबका ज्ञान बहुत

शिकवे-शिकायत मैं ना भेजूँ 

सबको भेजूँ प्यार मेरा


राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2024 । सिएटल 


Saturday, July 6, 2024

इतवारी पहेली: 2024/07/07


इतवारी पहेली:


बताओ कैसा बच्चा # ##

कि बर्तन न पड़े उसे ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2024 । सिएटल 



Re: इतवारी पहेली: 2024/06/30



On Sat, Jun 29, 2024 at 11:50 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


उस व्यक्ति का था ## ##

वह ना जिया कभी # ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 जुलाई 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 30 जून 2024 । सिएटल 



Tuesday, July 2, 2024

सँपेरे

लोग कहते हैं कि

हम सँपेरे नहीं हैं 

हम विश्व गुरू हैं

फिर कहीं सात

तो कहीं एक सौ सात

मौत के घाट उतर जाते हैं 

तो बग़लें झांकने के सिवा कोई चारा नहीं बचता


लेकिन अड़ियल इतने हैं कि

आदत से बाज नहीं आएँगे 

बाबाओं को गले लगायेंगे 

आध्यात्म के नारे लगाएँगे 

गीता की क़सम खाएँगे 

प्राण प्रतिष्ठा में फूले न समाएँगे 


राहुल उपाध्याय । 2 जुलाई 2024 । सिएटल