कितनी अजीब बात है
कि हमें उनका जन्मवर्ष तो ठीक से ज्ञात नहीं
लेकिन उनके जन्म का महीना, दिन और घड़ी अच्छी तरह से याद है
जबकि उस ज़माने में न कैलेंडर था न घड़ी
और अब
ग्रीनविच से घड़ी मिलाकर के
वृंदावन के लोग
रात के ठीक बारह बजे
मनाते हैं श्री कृष्ण का
न जाने कौन सा जन्मदिन
Tuesday, August 31, 2010
5237 वीं जन्माष्टमी?
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:59 PM
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Wednesday, August 25, 2010
न आए कहीं से, न कहीं जाएंगे हम
न आए कहीं से, न कहीं जाएंगे हम
यहीं के यहीं रह जाएंगे हम
फलता है, फूलता है, झड़ता है पेड़
गिर के वहीं फिर उगता है पेड़
न आया कहीं से, न जाए कहीं पर
मिट-मिट के बनता जाए यहीं पर
गुरूत्वाकर्षण ही सृष्टि का गुरू धरम है
इसके ही आगे पीछे घुमते लघु धरम है
जो उड़ता है, झूमता है, विचरता है नभ में
घूम-फिर के वो भी मिल जाता है जल में
इसलिए न सोचो कि तुम कल जाओगे मर
और मर के जाओगे किसी ईश्वर के घर
अरे! यहीं है ईश्वर, यहीं है घर
इसके अलावा नहीं कोई दूसरा है घर
इसलिए न सोचो कि कल जाओगे मर
और सारा परिश्रम तुम्हारा जाएगा व्यर्थ
अरे! कल ग्राहम बेल यदि न कुछ करते करम
तो सोचो भला आज कैसे होता आई-फोन?
तो करम करो और खूब करो
अपने हाथों से कुछ इजाद करो
समाज, संस्कृति का कुछ विकास करो
सच है कि मरने के बाद सब यहीं रह जाएगा
लेकिन याद रखो कि
न कहीं से आए हो तुम, न कहीं जाओंगे तुम
यहीं के यहीं रह जाओंगे तुम
सिएटल । 513-341-6798
25 अगस्त 2010
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:59 AM
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