जो अजन्मा है उसका जन्मदिन क्यों मनाते हो तुम?
और जन्मदिन है तो पुण्यतिथि भी अवश्य ही होगी
याद आए तो कभी बताना मुझे
सिएटल
21 अगस्त 2011
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:10 PM
आपका क्या कहना है??
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Posted by Rahul Upadhyaya at 7:35 PM
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Labels: news
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:21 PM
आपका क्या कहना है??
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साधन बढ़े, संसाधन बड़े हैं
फिर भी मन में कुछ ऐसे रोड़े पड़े हैं
कि
न बहन राखी भेजे, न भाई उपहार दिलाए
कोरी बधाई से दोनों काम चलाए
स्काईप-फ़ेसबुक पे करें लम्बी बातें
लेकिन लिफ़ाफ़े में रोली-अक्षत रखी न जाए
राखी आए, राखी जाए
पर्व की खुशबू कहीं न आए
बहन भाई से हमेशा दूर रही है
घर-संसार में मशगूल रही है
लेकिन इतनी भी कभी लाचार नहीं थी
कि भाई का पता भी पता नहीं है
सिर्फ़ एस-एम-एस से काम चलाए
घिटपिट-घिटपिट बटन दबाए
पर्व की उपेक्षा
ये करती पीढ़ी
चढ़ रही है
उस राह की सीढ़ी
जिस राह पे डोर का मोल नहीं है
तीज-त्योहर का कोई रोल नहीं है
संस्कृति आखिर क्या बला है
इस पीढ़ी को नहीं पता है
बस पैसा बनाओ, पैसा बटोरो
किसी अनुष्ठान के नाम पे काम न छोड़ो
24 घंटे ये सुई से भागे
कभी रुक के न मन में झांके
कि इस दौड़ का आखिर परिणाम क्या होगा?
जब होगी जीवन की शाम, क्या होगा?
सिएटल,
12 अगस्त 2011
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:36 PM
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Labels: festivals
दिन पर दिन, दीन दीन होते रहें
पकड़ के मीन, मीन खोते रहें
कमाया मगर गवाँया समझ
जो फल न सके बीज बोते रहें
चश्मे को नैनों ने चश्मा किया
टप-टप टीप-टीप रोते रहें
स्टेशन कई आए मगर
उतरें नहीं बस सोते रहें
अब क्या किसी से कोई कहानी कहे
न वो दादा रहें, न वो पोते रहें
हमने तो की मोहब्बत मगर
दाग समझ वो धोते रहें
सिएटल
4 अगस्त 2011
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:59 AM
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