पूरे रास्ते भर
वाईपर में फ़ँसा
मेपल का पत्ता
फ़ड़फ़ड़ाता रहा
और उसके कान पे जूँ तक न रेंगी
उसकी निगाहें गड़ी थीं
फोन पर
ट्रैफ़िक पर
रेडियों के बजते शोर पर
और हाथ में पकड़े स्टारबक्स के घोल पर
आज की दुनिया में
संसार की कोई भी ऐसी चीज़ नहीं
जो प्रकृति की कृति हो
और इंसान को अपनी और मोड़ सके
उसे खुद से जोड़ सके
पहले हम तारों से रिश्ता जोड़ते थे
उनकी संरचना में भालू-बर्तन खोजते थे
फिर एक ऐसा वक्त आया कि
हम तारों को छोड़ चाँद पे उतर आए
आज अमावस है, चार दिन बाद चतुर्थी,
उसके एक हफ़्ते बाद एकादशी, और फिर पूर्णिमा
उसी के उतार-चढ़ाव के साथ
हम तीज-त्यौहार-पर्व मना लिया करते थे
लेकिन फिर एक ऐसा भी दौर आया
कि शाम ढलते ही सब
टी-वी के सामने बैठ
किसी काल्पनिक परिवार के सुख-दु:ख
उतार-चढ़ाव में रमने लगे
उन्हीं के साथ हा-हा, ही-ही करने लगे
अब टी-वी भी बहुत दूर की चीज़ हो गयी है
रिमोट से चलते-चलते खुद ही रिमोट हो गई है
आज
रिमोट से छोटी
हथेली से चिपकी
4 ईंच की स्क्रीन में ही हमारी दुनिया सिमट कर रह गयी है
अगर आप 4 ईंच की स्क्रीन में खुद को घुसोड़ सके तो आप का अस्तित्व है,
वरना आप का होना न होना कोई मायने नहीं रखता है
पाँच घर छोड़ कर रहने वाला यह नहीं जानता कि आप दस दिन से गायब है
लेकिन उसे पूरी जानकारी है कि
आठ हज़ार मील की दूरी पर
उसकी मौसी के बेटे की
कुछ मिनट पहले कॉलेज जाते वक़्त बस छूट गई है
वे आपके सामने से निकल जाएंगे
लेकिन आपको पहचानेगे नहीं
उनसे बात करनी हो तो
आवाज़ देने से काम नहीं चलेगा
ट्वीट करना होगा
क्योंकि वे कान में प्लग लगाए
पहले ही बहरे हो चुके हैं
सिएटल । 513-341-6798
28 जनवरी 2012
====================
वाईपर = wiper
मेपल = maple
स्टारबक्स = starbucks
रिमोट = remote
ट्वीट = Tweet
वाईपर में फ़ँसा
मेपल का पत्ता
फ़ड़फ़ड़ाता रहा
और उसके कान पे जूँ तक न रेंगी
उसकी निगाहें गड़ी थीं
फोन पर
ट्रैफ़िक पर
रेडियों के बजते शोर पर
और हाथ में पकड़े स्टारबक्स के घोल पर
आज की दुनिया में
संसार की कोई भी ऐसी चीज़ नहीं
जो प्रकृति की कृति हो
और इंसान को अपनी और मोड़ सके
उसे खुद से जोड़ सके
पहले हम तारों से रिश्ता जोड़ते थे
उनकी संरचना में भालू-बर्तन खोजते थे
फिर एक ऐसा वक्त आया कि
हम तारों को छोड़ चाँद पे उतर आए
आज अमावस है, चार दिन बाद चतुर्थी,
उसके एक हफ़्ते बाद एकादशी, और फिर पूर्णिमा
उसी के उतार-चढ़ाव के साथ
हम तीज-त्यौहार-पर्व मना लिया करते थे
लेकिन फिर एक ऐसा भी दौर आया
कि शाम ढलते ही सब
टी-वी के सामने बैठ
किसी काल्पनिक परिवार के सुख-दु:ख
उतार-चढ़ाव में रमने लगे
उन्हीं के साथ हा-हा, ही-ही करने लगे
अब टी-वी भी बहुत दूर की चीज़ हो गयी है
रिमोट से चलते-चलते खुद ही रिमोट हो गई है
आज
रिमोट से छोटी
हथेली से चिपकी
4 ईंच की स्क्रीन में ही हमारी दुनिया सिमट कर रह गयी है
अगर आप 4 ईंच की स्क्रीन में खुद को घुसोड़ सके तो आप का अस्तित्व है,
वरना आप का होना न होना कोई मायने नहीं रखता है
पाँच घर छोड़ कर रहने वाला यह नहीं जानता कि आप दस दिन से गायब है
लेकिन उसे पूरी जानकारी है कि
आठ हज़ार मील की दूरी पर
उसकी मौसी के बेटे की
कुछ मिनट पहले कॉलेज जाते वक़्त बस छूट गई है
वे आपके सामने से निकल जाएंगे
लेकिन आपको पहचानेगे नहीं
उनसे बात करनी हो तो
आवाज़ देने से काम नहीं चलेगा
ट्वीट करना होगा
क्योंकि वे कान में प्लग लगाए
पहले ही बहरे हो चुके हैं
सिएटल । 513-341-6798
28 जनवरी 2012
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वाईपर = wiper
मेपल = maple
स्टारबक्स = starbucks
रिमोट = remote
ट्वीट = Tweet