Tuesday, October 29, 2013

रैली में बम कैसे फट गया?

दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें?
मुश्किल हो अर्ज़-ए-हाल तो हम क्या जवाब दें?

पूछे कोई कि रैली में बम कैसे फट गया?
लाखों की भीड़ में कोई कैसे घुस गया?
कहने से हो बवाल तो हम क्या जवाब दें?

किस-किस का किस्सा-ए-खोट आप सुनाएंगे?
देखेंगे आईना तो दोष खुद में पाएंगे
नीयत ही हो छिनाल तो हम क्या जवाब दें?

वोटों को बीनने का समां फिर से बंध गया
आरोपों-प्रत्यारोपों का युद्ध फिर से छिड़ गया
धोती का हो रूमाल तो हम क्या जवाब दें?

(साहिर से क्षमायाचना सहित)
29 अक्टूबर 2013
सिएटल । 513-341-6798

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Sahir


1 comments:

Anonymous said...

रैली में बम कैसे और क्यों फटा - इस सवाल का सच में कोई एक जवाब नहीं है। जब लोग क्रोध में जलते हैं और विष से भर जाते हैं, तो वो इंसानियत से और अपने दिल से disconnect हो जाते हैं। तभी वह ऐसे काम करते हैं।

कविता में "किस्सा-ए-खोट", "अर्ज़-ए-हाल", "बवाल", और "छिनाल" शब्द नये और interesting लगे।