Monday, July 28, 2014

दूध तो सांप पीते हैं

पहले दारू-सिगरेट पीना बुरा माना जाता था
आजकल दूध पीने पर भी रोक है
कभी-कभी तो लगता है कि
ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं एक 'जोक' है

कोई भी चैन से नहीं रहने देता है
एक जीवन और हज़ार झंझट
यह मत करो, वह मत करो
दूध मत पियो
तेल मत खाओ

और तो और अपना जन्मदिन भी नहीं मना सकते
मना लें तो 'केक' नहीं ला सकते
'केक' ले भी आए तो फोटो नहीं खींच सकते
फोटो खींच भी ले तो फ़ेसबुक पर शेयर नहीं कर सकते
वर्ना हज़ार ताने सुनने पड़ेंगे
आपके 'केक' की वजह से देखिए
गायों की क्या हालत हो गई है
ज़मीन तक थन लटक रहे हैं
डेरी वाले 24/7 मशीन से दूध चूस रहे हैं
और आप हैं के ऐश कर रहे हैं?
कोई शर्म-लाज भी है या नहीं?

एक जीवन और हज़ार झंझट

कोई सांस लेना सीखा रहा है
तो कोई जीवन जीना एक कला बता रहा है
कोई धर्म की आड़ में तो
कोई सेहत के नाम पर
देह के साथ खिलवाड़ कर रहा है

अरे भई
जो जैसे जीता है उसे जीने दो
जिसने उसे बनाया है
बहुत सोच-समझ के बनाया है
उसे जो कहना-करना था
वो सब का सब डी-एन-ए में लिखा जा चुका है
आप को उसे पुन: परिभाषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है

धन्यवाद!

सिएटल । 513-341-6798
28 जुलाई 2014

Thursday, July 24, 2014

bug है cloud में

पत्ते झड़ रहे हैं
तापमान गिर रहा है
स्वेटर जो पैक थे
निकलने लगे हैं
ये बे-वक़्त की सर्दी
शायद रास्ता भूल गई है
जाना था सिडनी
सिएटल पहुँच गई है


इससे पहले कि मैं दरवाज़ा जड़ूँ
बिन बुलाए अतिथि का अपमान करूँ

कोई है कहीं तो
इसकी GPS सही कराओ
कोई App-वैप हो तो उसे
download कराओ
और 'गर bug है cloud में
तो Dev को बुलाओ
जिसने बनाया
उसी से fix कराओ

24 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

Sunday, July 20, 2014

हैं पश्चिम के इतने दीवाने

हम दीप जलाते थे
अब कैंडल बुझाते हैं
हैं पश्चिम के इतने दीवाने
कि सूर्योदय नहीं, सूर्यास्त सुहाते हैं

पहले गाते थे, बजाते थे
ढोल-नगाड़े, करताल-मंजीरे
कहीं न कहीं सुनाई दे जाते थे
और अब?
कान में लगे दो तार
लगातार बड़बड़ाते हैं

पहले पैदल जाते थे
पैदल आते थे
बोझा-सौदा भी साथ ले आते थे
और अब?
मशीनी जीवन में
मशीनें इतनी हावी हैं कि
कार से जाते हैं
कार से आते हैं
और बेकार में तोंद बढ़ाते हैं
और फिर उसी तोंद को कम करने के चक्कर में
मशीन पर चढ़ जाते हैं
उस पर लगी 4 फ़ीट की पट्टी पर
बेतहाशा दौड़ते जाते हैं
न कहीं आते हैं
न कहीं जाते हैं
वहीं के वहीं रह जाते हैं
और वातानूकुलित कमरे में
पसीने बहाने के सपने सजाते हैं

20 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

Wednesday, July 16, 2014

Middle East में खून-खराबा और Goetze का गोल

ज़िंदगी हसीन हो
पर इतनी भी नहीं
कि तुम रोओ
और मैं हँसूँ
बम फटे
और मैं नाचूँ

कितना आसां है
चैनल बदल कर
मूड बदल लेना

ज़िंदगी हसीन हो
पर इतनी भी नहीं
कि मेरे रिमोट के हाथों में
मेरी ज़िंदगी हो

16 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

Wednesday, July 9, 2014

साथ-साथ

घड़ी भी चलते-चलते
थक जाती है
सुस्त हो जाती है

कभी
एक मिनट
तो कभी
दो मिनट
पीछे हो जाती है
और कभी-कभी तो
घंटों पीछे हो जाती है

लेकिन समय
फिर भी साथ नहीं छोड़ता
कभी भी घड़ी को
छ: घंटे से ज्यादा
पीछे नहीं होने देता

यहाँ तक कि
कई बार तो ऐसा भी आभास होता है
कि समय पीछे रह गया
और घड़ी आगे निकल गई

और फिर वो दोनों
एक पल के लिए ही सही
साथ हो जाते हैं

दोनों एक दूसरे के साथ
आगे-पीछे
चलते रहते हैं
जैसे
शाम को
किसी मोहल्ले में
निकले हो
अंकल-आंटी
टहलने को

9 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

Tuesday, July 8, 2014

फ़र्क सिर्फ़ इतना है

उत्सव हम भी मनाते हैं
उत्सव वो भी मनाते हैं
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि हम दीप जलाते हैं
वो कैंडल बुझाते हैं

शाबाशी हम भी देते हैं
शाबाशी वो भी देते हैं
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि हम पीठ थपथपाते हैं
वो अंगूठा दिखाते हैं

माँ से प्यार
उनको भी है
हमको भी है
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि एक वयस्क इंसान का माँ के साथ रहना
उनके लिए दुर्भाग्य है
हमारे लिए सौभाग्य

घर उनका भी है
घर हमारा भी है
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि आप उनके घर बिन बुलाए जा नहीं सकते
और हमारे घर से बिना खाए आ नहीं सकते

8 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

Monday, July 7, 2014

अकेलेपन का अब अहसास नहीं है

बच्चे गए
बीवी गई
घर है खाली-खाली मेरा
इधर जाऊँ
उधर जाऊँ
हर जगह लगे भूतों का डेरा

खिड़्कियाँ बंद हैं
दरवाज़े बंद हैं
पूरी तरह से सुरक्षित हूँ मैं
सब सकुशल है
सब सुव्यवस्थित है
फिर भी किसी बात से भयभीत हूँ मैं

सीढ़ी चढ़ते
गर फ़िसल पड़ूँ मैं
तो क्या किसी को आभास भी होगा?
खिड़कियाँ बंद हैं
दरवाज़े बंद हैं
कैसे कोई मेरे पास पहुँचेगा?

दरवाज़े पे क्या भीड़ भी होगी?
मालाओं से ढकी मेरी तस्वीर भी होगी?

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ज़िंदगी मेरी बहुत व्यस्त है
सुरसा से लम्बी टु-डू लिस्ट है

खाना बनाओ
बर्तन मांजो
कपड़े धोओ
इस्त्री फेरो
घास काटो
पौधों को पिलाओ
वेक्यूम मारो
झाड़ू-पोंछा-फटका मारो
डाक देखो
बिल चुकाओ
बाज़ार जाओ
सौदा लाओ
विम्बल्डन देखो
वर्ल्ड-कप देखो
मोदी की सरकार को नापो
अच्छे दिन की परिभाषा ढूँढो

अकेलेपन का अब अहसास नहीं है
टु-डू लिस्ट कान्स्टेन्ट कम्पेनियन है

रात सोऊँ
तो घूरे काम अधूरे
सुबह उठूँ
तो चार-छ: और जा जुड़े

7 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798