Tuesday, December 15, 2015
आजकल टाईम देखने का भी टाईम नहीं है
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:11 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: digital age
Friday, December 11, 2015
जब भी कोई फ़ैसला आता है
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:08 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: intense
Sunday, December 6, 2015
ये आँखें बोलती हैं
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:56 PM
आपका क्या कहना है??
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Saturday, December 5, 2015
हर आदमी अपनी ज़िंदगी जीता है
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:14 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: misc
Saturday, November 28, 2015
नरेन्द्र नरेश हैं, विवेकानन्द नहीं
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:05 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: misc
Thursday, November 19, 2015
तुम इतना जो बड़बड़ा रहे हो
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:29 PM
आपका क्या कहना है??
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Saturday, November 14, 2015
दीवाली किसलिए?
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:25 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: festivals
Tuesday, November 10, 2015
खील खिलाना अलग है
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:40 PM
आपका क्या कहना है??
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खील खिलाना अलग है
Saturday, November 7, 2015
आज रात चाँद इक महफ़िल में छा गया
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:35 PM
आपका क्या कहना है??
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Labels: misc
Sunday, November 1, 2015
मिले न फूल तो पत्तों की फ़ोटो खींच ली
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:50 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: misc
Wednesday, October 28, 2015
ग़ज़ब फेंकते हो तुम
कहाँ शुरू कहाँ खतम
दलीलें भी अजीब सी
न तुम समझ सके न हम
मंच के नूर हो गए
माईक के इतने पास हो
कि सबसे दूर हो गए
वादे भूल जाओगे
जब-जब बाज़ार जाएँगे
तुम हमको याद आओगे
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:17 AM
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Labels: parodies, Shailendra
Wednesday, October 21, 2015
रावण मारा नहीं जाता है
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:59 PM
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Labels: festivals
Monday, October 19, 2015
वादा फ़रामोश वादा न करे ऐसा नहीं होता
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:40 PM
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Labels: news
Saturday, October 17, 2015
पहेली 42
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:20 PM
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Thursday, October 15, 2015
पहेली 41
कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:34 AM
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Labels: riddles
Thursday, October 8, 2015
संग भी इन दिनों सलामत नहीं
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:36 AM
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Labels: news
Wednesday, October 7, 2015
अख़बार पढ़ कर क्या होगा?
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:32 PM
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Labels: news
शिकायत है नज़्म में नज़ाकत नहीं
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:30 AM
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Labels: intense
Wednesday, September 30, 2015
खम्भे के इस पार है हरियाली
खम्भे के इस पार है हरियाली
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:17 PM
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Wednesday, September 23, 2015
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
घर बुलाते ओबामा मुझको और होते सारे गदगद
होते सारे गदगद करती प्रेस ताता-थैया
जग में होता नाम मेरा और मिलते ऑफर बड़िया
मिलते ऑफर बड़िया पर मेरा नाम रखा ऐसा छाँटकर
कि हिंदुस्तान से भी भागा डरकर, खा गया वहाँ आरक्षण
यहाँ आकर भी नाम बदला, बदला रहन-सहन भी
कब तक बाबा रामदेव की सुनता, जिम में उठाए वजन भी
धोबी के कुत्ते जैसी हालत, न रहा इधर का न उधर का
मेरा भी क्या दोष है इसमे, मैंने तो चाही मधुरता
मेल्टिंग पॉट में मेल्ट होकर मिटा डाली विविधता
बाकी जो कुछ बचे-खुचे हैं उन्हें हर कोई है पूजता
कवि महोदय, कथा-वाचक, ज्योतिष और वैद्य
नाटकवाले, गायक, मेकअप मैडम सब के सब हैं सेट
यह घड़ी अगर मैं बनाता और होता नाम अहमद
घर बुलाते ओबामा मुझको और सारे होते गदगद
23 सितम्बर 2015
सिएटल | 425-445-0827
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:52 PM
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Labels: news
Sunday, September 20, 2015
जीत गए तो डरना क्या
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:05 AM
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Thursday, September 3, 2015
अब कहाँ किसमे इतना सब्र है
अब कहाँ किसमे इतना सब्र है
कि दो दिन इंतज़ार करे
और गर्म राख में हाथ खराब करे
बस बटन दबाया
और एक ठंडा कलश हाथ आ जाता है
और आप अमेज़ॉन प्राईम के मेम्बर हैं
तो फिर वो दिन दूर नहीं
जब डेश के बटन को दबाते ही
हज़ारों मील दूर पड़ा पार्थिव शरीर
मिनटों में राख हो जाएगा
न टिकट खरीदने की झंझट
न प्लेन में चढ़ने के लिए एक लम्बी उबाउ कतार
न एम्स्टर्डम के सुरक्षाकर्मी को रटे-रटाए सवालों के जवाब देना
न आधी रात घर पहुँचना
और बढ़ती गर्मी और घटते परिवार
के बीच मन ही मन यह समझ आना कि
अब तुम बड़े हो गए हो
घर आए छोटे बच्चे नहीं हो
कि मन-माफ़िक़ खाना बनेगा
पिकनिक की बातें होगी
गोलगप्पे खाए जाएगे
और हाँ
जल्दी ही एक ड्रोन सर्विस भी तैयार हो जाएगी
ताकि गंगा भी न जाना पड़े
स्मार्टफोन पर ही बटन दबाया
और उधर अस्थियाँ विसर्जित
पुनश्च:
जो पढ़े-लिखे लोग हैं
उन्हें पर्यावरण की बड़ी चिंता है
मुझ कम पढ़े व्यक्ति की बातों में आकर
आप उनका अनादर न करें
जितना भी वे कर सकते हैं
कर रहे हैं
एक लाश न जलाकर
वैसी ही उनपर
बी-एम-डबल्यू और मर्सीडीज़ चलाने का
बड़ा बोझ है
3 सितम्बर 2015
सिएटल । 425-445-0827
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:43 PM
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Labels: intense
Wednesday, September 2, 2015
चमचों का भक्तों का, सबका कहना है
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:18 PM
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Labels: Anand Bakshi, parodies