जिस देश में
वॉल स्ट्रीट की पूजा होती हो
और गेट्स जहाँ के हों महानायक
वह देश यदि दीवार बनाए
या कर ले दरवाज़े बन्द
तो
दुनिया क्यूँ ऐसे बौखला रही है
जैसे आ गया हो कोई भूकम्प
जबकि
दुनिया भर में यही हाल है
घर-घर की है यही कहानी
कि एक घर के कई घर हैं बनते
दीवारें और दरवाज़े बनते
सबको चाहिए अपने कमरे
अपने ताले-चाबी
आधिपत्य का यही हिसाब है
कि मेरे पास हैं कमरे कितने
दीवारों और दरवाज़ों से ही तो
हम सब सभ्य बने हैं
जानवरों से बर्ताव छोड़े
और इन्सान बने हैं
समृद्धि के हैं यही मापदण्ड
सफलताओं की भी पूँजी
चाहे हो कोई छोटा नौकर
या हो बड़ा कोई अफ़सर
बग़ैर इजाज़त नहीं जा सकते
आप किसी के भी घर पर
और भेदभाव की तो बात ही न करें
तो ही अच्छा होगा
क्योंकि भेदभाव की बातें करना
मात्र एक शग़ल है
पर भेदभाव करे न कोई
यह तो लगभग असम्भव है
ये हैं मेरे बेटे-बेटी
ये हैं भाई-भतीजे
इन दोनों में बहुत है अंतर
किसी से भी आप पूछ लीजे
एक के लिए उपहार ख़रीदे जाते
दूजे को दी जाती हैं शुभकामनाएँ
फिर सहपाठी की औक़ात ही क्या है
और पड़ोसी तो एक आफ़त है
जिस देश में
वॉल स्ट्रीट की पूजा होती हो
और गेट्स जहाँ के हों महानायक
...
10 फ़रवरी 2017
सिएटल
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