Sunday, February 26, 2017

WhatsApp instagram है



जाने कहाँ गए वो दिन
लिखते थे गीत text में 
चाहे कोई भी बात हो
कहते थे सीधे text में 

अपनी नज़र में आजकल
WhatsApp instagram  है
फ़ोटो ही फ़ोटो हर जगह
मचा हुआ कोहराम है

मेरे status जो भी थे
सब के सब delete हुए
मनसूबे जितने भी बाँधे थे
सब के सब मिट्टी पलीद हुए

(शैलेन्द्र से क्षमायाचना सहित)
25 फ़रवरी 2017
सिएटल | 425-445-0827

Saturday, February 18, 2017

टूट न जाएँ सपने मैं डरता हूँ

टूट जाएँ सपने 
मैं डरता हूँ
जग के भी देखो कहाँ
मैं जगता हूँ

रूठ जाएँ अपने
मैं डरता हूँ
खोल के भी आँखें अपनी
बंद रखता हूँ

भूल जाऊँ उसे
मैं डरता हूँ
ग़म और ख़ुशी से मैं 
दूर रहता हूँ

छूट जाए बचपन
मैं डरता हूँ
बरखा की बूँदें 
लब पे चखता हूँ

डूब जाए सूरज
मैं डरता हूँ
मेघों को नैनों में 
रोके रखता हूँ

बीत जाए जीवन
मैं डरता हूँ
दीया इक नया जला
दिया करता हूँ

18 फ़रवरी 2017
सिएटल | 425-445-0827
tinyurl.com/rahulpoems 





Friday, February 10, 2017

जिस देश में वॉल स्ट्रीट की पूजा होती हो

जिस देश में 
वॉल स्ट्रीट की पूजा होती हो
और गेट्स जहाँ के हों महानायक
वह देश यदि दीवार बनाए
या कर ले दरवाज़े बन्द 
तो
दुनिया क्यूँ ऐसे बौखला रही है
जैसे गया हो कोई भूकम्प 

जबकि
दुनिया भर में यही हाल है
घर-घर की है यही कहानी
कि एक घर के कई घर हैं बनते
दीवारें और दरवाज़े बनते

सबको चाहिए अपने कमरे
अपने ताले-चाबी
आधिपत्य का यही हिसाब है
कि मेरे पास हैं कमरे कितने

दीवारों और दरवाज़ों से ही तो
हम सब सभ्य बने हैं
जानवरों से बर्ताव छोड़े
और इन्सान बने हैं

समृद्धि के हैं यही मापदण्ड
सफलताओं की भी पूँजी 

चाहे हो कोई छोटा नौकर
या हो बड़ा कोई अफ़सर
बग़ैर इजाज़त नहीं जा सकते
आप किसी के भी घर पर

और भेदभाव की तो बात ही करें
तो ही अच्छा होगा
क्योंकि भेदभाव की बातें करना
मात्र एक शग़ल है
पर भेदभाव करे कोई
यह तो लगभग असम्भव है

ये हैं मेरे बेटे-बेटी
ये हैं भाई-भतीजे
इन दोनों में बहुत है अंतर
किसी से भी आप पूछ लीजे 
एक के लिए उपहार ख़रीदे जाते
दूजे को दी जाती हैं शुभकामनाएँ 

फिर सहपाठी की औक़ात ही क्या है
और पड़ोसी तो एक आफ़त है

जिस देश में 
वॉल स्ट्रीट की पूजा होती हो
और गेट्स जहाँ के हों महानायक 
...

10 फ़रवरी 2017
सिएटल 
tinyurl.com/rahulpoems 


Saturday, February 4, 2017

नोट-गेट दोऊ बन्द पड़े

नोट-गेट दोऊ बन्द पड़े
जनता करे संताप
जब तक नेट बन्द हो
कविता पढ़िए आप

कविता पढ़िए आप
करिए वाह-वाही
होती रहती है दुनिया में 
इसकी-उसकी तबाही

कब तक किसका रोना रोए
कब तक करें सोच-विचार
जीवन की आपाधापी से
मिलते नहीं पल दो-चार

मिलते नहीं पल दो-चार
क्या-क्या करें हम भैया
नाच नचाए टू-डू-लिस्ट हमको
करे हम ताता-थैया

जाको राखे साइयाँ 
मार सके कोय
हरि इच्छा बलवान है कह के 
मुँह ढाकि हम सोय

4 फ़रवरी 2017
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