मेरी कविता में
कईयों की छाप है
किसी रेवड़ी वाले की पुकार है
किसी खोमचे वाले की आवाज़ है
किसी शिक्षक की सीख है
किसी अल्हड़ का सुराग़ है
किसी अंचल का शब्द है
किसी आँचल का लाड़ है
किसी बेटे का दर्द है
किसी प्रेमी का प्यार है
किसी जवाँ का जोश है
किसी अधेड़ की भड़ास है
नहीं है तो बस वह
जिसे कहते प्रबुद्धजन
छन्द, बिम्ब या अलंकार हैं
26 मई 2017
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