Friday, May 26, 2017

मेरी कविता में कईयों की छाप है

मेरी कविता में 

कईयों की छाप है


किसी रेवड़ी वाले की पुकार है

किसी खोमचे वाले की आवाज़ है

किसी शिक्षक की सीख है

किसी अल्हड़ का सुराग़ है

किसी अंचल का शब्द है

किसी आँचल का लाड़ है

किसी बेटे का दर्द है

किसी प्रेमी का प्यार है

किसी जवाँ का जोश है

किसी अधेड़ की भड़ास है


नहीं है तो बस वह

जिसे कहते प्रबुद्धजन

छन्द, बिम्ब या अलंकार हैं


26 मई 2017

सिएटल | 425-445-0827

tinyurl.com/rahulpoems


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