क्यूँ मन्दिर बने
क्यूँ मस्जिद बने
बने तो बने
एक चौखट बने
जहाँ पे जाके
सबका सर झुके
कृतज्ञता में
विनम्रता से
भजन न हो
भोजन ही हो
किसी भूखे की
जहाँ भूख मिटे
अजान न हो
सुजान ही हो
किसी खोए को
जहाँ राह मिले
जहाँ किसीका
किसी पे न हाथ उठे
उठे तो उठे
कुछ देने के लिए
उठे तो उठे
कुछ पाने के लिए
कृतज्ञता में
विनम्रता से
क्यूँ कुछ बने
जो कल को टूटे ...
17 अगस्त 2017
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