Thursday, August 17, 2017

क्यूँ मन्दिर बने

क्यूँ मन्दिर बने

क्यूँ मस्जिद बने

बने तो बने

एक चौखट बने

जहाँ पे जाके

सबका सर झुके

कृतज्ञता में 

विनम्रता से


भजन हो

भोजन ही हो

किसी भूखे की

जहाँ भूख मिटे

अजान हो

सुजान ही हो

किसी खोए को

जहाँ राह मिले


जहाँ किसीका 

किसी पे हाथ उठे

उठे तो उठे

कुछ देने के लिए

उठे तो उठे

कुछ पाने के लिए

कृतज्ञता में 

विनम्रता से


क्यूँ कुछ बने

जो कल को टूटे ...


17 अगस्त 2017

सिएटल | 425-445-0827

http://mere--words.blogspot.com/






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