Monday, February 26, 2024

मैं महान हूँ

मैं महान हूँ यह कहना किसे शोभा देता है 

पर कभी-कभी यह कहना ज़रूरी हो जाता है 

ख़ासकर तब जब कोई आपकी बात सुनता ही नहीं 

यहाँ तक कि बोलने की भी इजाज़त नहीं देता

इजाज़त?

कुछ कहने के लिए इजाज़त क्यों चाहिए?

कौन होता हैं वो जो तुम्हें इजाज़त देता है?

क्यूँ उसे इतना सर चढ़ा रखा है?

लेकिन आकाओं ने इसे ही शिष्टाचार बता रखा है 

किसी की बात ख़त्म होने से पहले अपना मुँह मत खोलो


धर्म परिवर्तन भी तब ज़रूरी हो जाता है 

जब वह सिर्फ़ अपनों का ही भला करता हो

दूसरों को दरकिनार करता हो

दूसरों पर अत्याचार करता हो


बड़बोला होना एक छाप छोड़ जाता है 

न जाने कितनों को प्रेरित कर जाता है 

एक नई लहर दौड़ जाती है 

सारी दुनिया उमड़ आती है 

जिन्हें मुक्केबाज़ी से कोई सरोकार नहीं है 

उनमें भी शक्ति संचार कर जाती है 


मैं महान हूँ!

मैं सबसे महान हूँ!


साठ साल हो गए इन शब्दों को

कहे हुए

तब मैं नहीं था सुनने के लिए 

लेकिन आज भी तरोताज़ा है

स्फूर्ति से सराबोर कर जाते हैं 

करते रहेंगे पीढ़ी दर पीढ़ी 


कई बार जो नहीं कहना है 

वह भी कह देना चाहिए 

सारे नियम-क़ानून तोड़ देने चाहिए 


राहुल उपाध्याय । 26 फ़रवरी 2024 । सिएटल 





Saturday, February 24, 2024

इतवारी पहेली: 2024/02/25


इतवारी पहेली:


जब भी जाओ कहीं ## ## #

बच के रहना अपनी #%## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 मार्च 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Re: इतवारी पहेली: 2024/02/18



On Sat, Feb 17, 2024 at 11:18 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


आँकों, सबकी ### आँकों

पर कभी भी माँ # ## आँकों


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Monday, February 19, 2024

लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

जो ज़हर दे और मार दे?

जो बम से सौ मार दे?

जो संसद से निकाल दे?


लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

जो देश को हथियार दे?

जो जात को पहचान दे?

जो निष्ठा का इम्तिहान ले?


लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

जो बेटियों को मार दे?

जो लड़के नहीं हैवान हैं?

जो पति नहीं शैतान हैं?


लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

जो सुर्खियों को छाँट दे?

छाँव-धूप में बाँट दे?

जो बिक सके वो माल दे?


लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?

जो पंक्तियों पे ध्यान दे?

जो वर्तनियों को मान दे?

विसंगतियों पे बखान दे?


राहुल उपाध्याय । 19 फ़रवरी 2024 । सिएटल 





Saturday, February 17, 2024

Re: इतवारी पहेली: 2024/02/11



On Sat, Feb 10, 2024 at 7:20 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


अरे भाई! तू अपना मन #%# #

अपने बेटों से कभी कोई #% ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



इतवारी पहेली: 2024/02/18


इतवारी पहेली:


आँकों, सबकी ### आँकों

पर कभी भी माँ # ## आँकों


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Saturday, February 10, 2024

Re: इतवारी पहेली: 2024/02/04



On Sat, Feb 3, 2024 at 10:33 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


जब था घर में अचार # ## ## 

ऐसा एक भी दिन हमें ## # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



इतवारी पहेली: 2024/02/11


इतवारी पहेली:


अरे भाई! तू अपना मन #%# #

अपने बेटों से कभी कोई #% ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Thursday, February 8, 2024

जो था सर्वर, वो आज राजा है


जो था सर्वर, वो आज राजा है

चारों ओर क्लाउड-क्लाउड छाया है


वही हैं काम, वही परिणाम भी हैं 

बस इक नाम ही नया सा है 


ए-आई है कि है ये जिन्न कोई 

जाने क्या-क्या ग़ज़ब ढाया है 


जो खुद ही कहे कि मैं हूँ ग़लत 

जाने क्यूँ उस पे प्यार आया है 


चलते-चलते ये दुनिया दौड़ रही

जाने क्या है जो न पाया है 


राहुल उपाध्याय । 8 फ़रवरी 2024 । सिएटल 


Sunday, February 4, 2024

ब्याह बेटियों का

हम एन-आर-आई के दर्द की बात करते हैं 

उसकी त्रासदी पे तरस खाते हैं 

बेटियों का भी तो यही हाल है 

वे भी तो माँ-बाप से दूर रहती हैं 

अपने ही देश में परायी हो जाती हैं

राखी पर कभी-कभार ही मिल पाती हैं 

दो-चार दिन में वापस लौट आती हैं 

मथुरा में रह रही एक बीमार माँ की अंतिम साँसें 

जबलपुर में रह कर बेटी गिनती है

बेटी के पहुँचने से पहले माँ राख हो जाती है 

उसे पता है पिता भी ऐसे गुजरेंगे

बस मन मसोस कर रह जाती है 

कर नहीं कुछ पाती है 

वही गिनती फिर दोहराती है 


बेटियाँ क्यों ब्याह दी जाती हैं 

कारावास में झोंक दी जाती हैं 

अपने ही देश में परायी हो जाती हैं


राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Saturday, February 3, 2024

इतवारी पहेली: 2024/02/04


इतवारी पहेली:


जब था घर में अचार # ## ## 

ऐसा एक भी दिन हमें ## # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



Re: इतवारी पहेली: 2024/01/27



On Sun, Jan 28, 2024 at 6:41 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


तू धुनें अच्छी #%## ## ##

फ़ोटो के लिए ## ## ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 4 फ़रवरी 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2024 । सिएटल 



Thursday, February 1, 2024

फ़ोटोग्राफ़

वह कभी स्कूल पढ़ने नहीं गई

फिर भी इतना अच्छा लिख लेती है 

कि हर कोई पढ़ ले, समझ ले

किसी से पूछने की भी ज़रूरत नहीं 

कि इसका क्या मतलब है 


शायद इसीलिए कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है

इतना सच्चा, इतना सरल लिख लेती है 

शायद इसलिए भी कि वो इस धरती की नहीं है 

वो आती है नौ करोड़ मील दूर से 


राहुल उपाध्याय । 1 फ़रवरी 2024 । सिएटल