Sunday, February 4, 2024

ब्याह बेटियों का

हम एन-आर-आई के दर्द की बात करते हैं 

उसकी त्रासदी पे तरस खाते हैं 

बेटियों का भी तो यही हाल है 

वे भी तो माँ-बाप से दूर रहती हैं 

अपने ही देश में परायी हो जाती हैं

राखी पर कभी-कभार ही मिल पाती हैं 

दो-चार दिन में वापस लौट आती हैं 

मथुरा में रह रही एक बीमार माँ की अंतिम साँसें 

जबलपुर में रह कर बेटी गिनती है

बेटी के पहुँचने से पहले माँ राख हो जाती है 

उसे पता है पिता भी ऐसे गुजरेंगे

बस मन मसोस कर रह जाती है 

कर नहीं कुछ पाती है 

वही गिनती फिर दोहराती है 


बेटियाँ क्यों ब्याह दी जाती हैं 

कारावास में झोंक दी जाती हैं 

अपने ही देश में परायी हो जाती हैं


राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2024 । सिएटल 



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