कहने लगे अग्रज मुझसे
तुम तो पूरे अंग्रेज़ हो
अपनी ही संस्कृति से
करते परहेज़ हो
1 जनवरी को ही
मना लेते हो नया साल
जबकि चैत्र मास में
बदलता है अपना साल
तुम जैसे लोगो की वजह से ही
आज है देश का बुरा हाल
तुम में से एक भी नहीं
जो रख सके अपनी धरोहर को सम्हाल
मैंने कहा
आप मुझसे बड़े हैं
मुझसे कहीं ज्यादा
लिखे पढ़े हैं
लेकिन अपनी गलतियाँ
मुझ पे न थोपिए
अपने दोष
मुझ में न खोजिए
हिंदू कैलेंडर आपको तब-तब आता है याद
जब जब मनाना होता है कोई तीज-त्योहार
जब जब मनाना होता है कोई तीज-त्योहार
आप फ़टाक से ठोंक देते हैं चाँद को सलाम
लेकिन स्वतंत्रता दिवस
क्यूँ मनाते हैं 15 अगस्त को आप?
और गणतंत्र दिवस भी
क्यूँ मनाते हैं 26 जनवरी को आप?
जब आप 2 अक्टूबर को
मना सकते हैं राष्ट्रपिता का जन्म
तो 1 जनवरी को क्यूँ नहीं
मना सकते हैं नव-वर्ष हम?
पहले जाइए और खोजिए
इन सवालों के जवाब
फिर आइए और दीजिए
हमें भाषण जनाब
मेरी बात माने
तो एक काम करें
जिसको जब जो मनाना है
उसे मना ना करें
मना कर के
किसी का मन खट्टा ना करें
सिएटल 425-445-0827
29 मार्च 2009
Sunday, March 29, 2009
नव-वर्ष - 1 जनवरी को या चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को?
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:54 PM
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2 comments:
अंग्रेजी की तिथियां याद रखना आसान है .. इसलिए ही तो सारे दिवस अंग्रेजी तिथियों के अनुसार मनाए जाते हैं .. आप लाख कोशिश कर लें पर जिसमें अधिक माथापच्ची होगी .. वह लोकप्रिय नहीं हो सकता।
कहा तो बिल्कुल ठीक है, अंग्रेजों से पुरानी संस्कृति है हमारी, लेकिन उससे मिलेगा क्या??? इसलिये सब चलता है और सब चल रहा है.
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