Wednesday, September 15, 2010

वो चौदह वर्ष का था

वो चौदह वर्ष का था
इसे चौबीस हो चुके हैं

वो वनवास था
यह सन्ताप है

उसकी अवधि सुनिश्चित थी
इसकी अवधि जीवन-काल है

वो वर था
यह अभिशाप है

जो मिला है भारत माँ को
अपनी ही सन्तान से

वसुधैव कुटुम्बकम का
नारा जो लगा रहे हैं
अपनी ही दाढ़ी में
तिनका बता रहे हैं

सिएटल । 513-341-6798
15 सितम्बर 2010
(अमरीका में पदार्पण की 24वीं वर्षगाँठ)

Tuesday, September 14, 2010

पहेली 35

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर प्रस्तुत है एक नई पहेली:

ये न हो तो चूल्हा जले ना
ये न हो तो दिया बुझे ना


ज़ुबाँ नहीं है, न कान है हाए
फिर भी हम इससे बातें करते जाए


सब कहते हैं ये यहीं कहीं है
लेकिन देखा किसी ने कभी नहीं है


ये ऐसी एक पहेली यारो
जो बदहवास करे, पर बकवास नहीं है

कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।

Friday, September 3, 2010

शर्ट, शार्ट और शार्ट्स

ये भी है मीडियम
वे भी हैं मीडियम
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि वे गुरू हैं
और ये शर्ट है

पहले मैं शर्ट स्माल साईज़ ही पहना करता था
लेकिन जैसे-जैसे पेट मोटा होता गया
शर्ट शार्ट होने लगी

शार्ट्स से याद आया
जब मैंने आठवीं कक्षा पास की थी
तब ही प्रण कर लिया था कि
आज के बाद कभी शार्ट्स नहीं पहनूँगा


लेकिन शार्ट्स की बात तो दूर
आज भी
अड़तालीस वर्ष की उम्र में
मैं पीठ पर बस्ता लटकाए
सुबह-शाम बस में सफ़र करता हूँ
जबकि सोचा तो ये था कि
नौकरी मिलने के बाद
मैं
स्कूटर
मोटर-साईकल
या कार से ही दफ़्तर जाया करूँगा

ये न थी हमारी किस्मत कि सपने साकार होते
अगर और जीते रहते यूँहीं जार-जार रोते

सिएटल । 513-341-6798
3 सितम्बर 2010