Tuesday, September 14, 2010

पहेली 35

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर प्रस्तुत है एक नई पहेली:

ये न हो तो चूल्हा जले ना
ये न हो तो दिया बुझे ना


ज़ुबाँ नहीं है, न कान है हाए
फिर भी हम इससे बातें करते जाए


सब कहते हैं ये यहीं कहीं है
लेकिन देखा किसी ने कभी नहीं है


ये ऐसी एक पहेली यारो
जो बदहवास करे, पर बकवास नहीं है

कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।

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