ये कैसा प्रजातंत्र है, ये कैसा जनतंत्र
जनता इससे खुश नहीं, कहे षड़यंत्र
कहे षड़यंत्र, हुई इतनी ये तंग
उठाने लगे संग जो कर करें सतसंग
करें सतसंग, करने लगे अनशन
नाम जिनका अन्ना, नहीं छू रहें थे अन्न
नहीं छू रहें थे अन्न, हुई जनता प्रसन्न
चलो गाँधी फिर से आए, डरें मनमोहन
डरें मनमोहन, हटी हर अड़चन
बच्चा-बच्चा खुश हुआ, हुए अभिभावक मगन
हुए अभिभावक मगन, पूरे होगे अब स्वपन
पढ़-लिख के राजा बेटा कमाएगा ये धन
कमाएगा ये धन, नहीं करेगा गबन
देश में ही रहेगा, नहीं होगा बे-वतन
नहीं होगा बे-वतन, सब होगे सुखी-सम्पन्न
भारत में ही रह के भारत माँ का नाम करेगा रोशन
सिएटल, 22 अप्रैल 2011
जनता इससे खुश नहीं, कहे षड़यंत्र
कहे षड़यंत्र, हुई इतनी ये तंग
उठाने लगे संग जो कर करें सतसंग
करें सतसंग, करने लगे अनशन
नाम जिनका अन्ना, नहीं छू रहें थे अन्न
नहीं छू रहें थे अन्न, हुई जनता प्रसन्न
चलो गाँधी फिर से आए, डरें मनमोहन
डरें मनमोहन, हटी हर अड़चन
बच्चा-बच्चा खुश हुआ, हुए अभिभावक मगन
हुए अभिभावक मगन, पूरे होगे अब स्वपन
पढ़-लिख के राजा बेटा कमाएगा ये धन
कमाएगा ये धन, नहीं करेगा गबन
देश में ही रहेगा, नहीं होगा बे-वतन
नहीं होगा बे-वतन, सब होगे सुखी-सम्पन्न
भारत में ही रह के भारत माँ का नाम करेगा रोशन
सिएटल, 22 अप्रैल 2011