कविता लिखूँ किसी की वॉल पे
कि फूल भेजूँ उसके पास मैं
क्या करूँ, क्या न करूँ
सोचता रहा इस बार मैं
ख़त लिखूँ एक कोरा सा
या मिस्ड कॉल करूँ दस बार मैं
क्या करूँ, क्या न करूँ
सोचता रहा इस बार मैं
'लाईक' करूँ उसके फोटो को
या कमेंट लिखूँ कोई खास मैं
क्या करूँ, क्या न करूँ
सोचता रहा इस बार मैं
दिल ढला और रात हुई
कर न सका कोई काम मैं
क्या करूँ, क्या न करूँ
सोचता रहा इस बार मैं
'गर गले लगूँ और वो गले पड़े
तो क्या बच पाऊँगा इस बार मैं
क्या करूँ, क्या न करूँ
सोचता रहा इस बार मैं
सिएटल, 18 फ़रवरी 2012
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वॉल = wall
मिस्ड कॉल = missed call
'लाईक' = like
कमेंट = comment
Saturday, February 18, 2012
क्या करूँ, क्या न करूँ
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:01 AM
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3 comments:
Nice.... at par with today's time
बहुत खूब .... अपनी इस कला को दीशा की जरुरत है.... बनायें रखें अपनी आवाज को...शुभकामनायें
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