कर-कर के इंकलाब, एन्क्लेव ही जोड़ पाए हैं
छ: दशक के बाद भी अंग्रेज़ी कहाँ छोड़ पाए हैं
आपकी बात का क्या करेगा विश्वास कोई
जब आप ही अपनी बात को खुद न ओड़ पाए हैं
जब दिल हो और दिमाग हो, तो बात बिगड़ेगी ज़रूर
दिल और दिमाग की साँठ-गाँठ बिरले ही तोड़ पाए हैं
जो हो गया सो हो गया, आगे की सुध लीजिए
वक़्त की धार को बिड़ला भी न मोड़ पाए हैं
दिल्ली । 88004-20323
13 मार्च 2012
Tuesday, March 13, 2012
कर-कर के इंकलाब एन्क्लेव ही जोड़ पाए हैं
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:21 AM
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Labels: India
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1 comments:
wah rahul ji aapki kalam me ek ajab hi jaadu sa dekhne ko mila h
Sirf chaar lafjon me kitna kuchh kah diya.... Meri ruh ko chhu gai aapki ye rachna...aage bhi aise hi nagme dete rahiyega...hum intzzar karenge...
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