क्या बात है जो बात-बेबात बात करते हो तुम?
दिन तो दिन, रात-बेरात बात करते हो तुम
जानता हूँ, है गुनाह, फिर भी क्यों नहीं तुम्हें रोकता हूँ मैं?
जानता हूँ, है ख़्वाब, फिर भी क्यों नहीं इसे तोड़ता हूँ मैं?
तुम हो, तो तुम्हीं से हर साँस है मेरी
तुम हो, तो तुम्हीं से अर्दास है मेरी
क्या बात है जो बात-बेबात बात करते हो तुम?
दिन तो दिन, रात-बेरात बात करते हो तुम
जानता हूँ, है प्यार, फिर भी क्यों नहीं तुम्हें ...
दिल्ली । 88004-20323
14 मार्च 2012
Wednesday, March 14, 2012
क्या बात है जो बात-बेबात बात करते हो तुम?
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:05 AM
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1 comments:
बहुत सुन्दर रचना...
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