जो इक्वेटर में रहा
इक वैटर ही रहा
जो दक्षिण में रहा
दबाया हर क्षण ही गया
पूरब वाला भूतपूर्व में रहा
त्रेता-द्वापर के गुण गाता रहा
कभी शल्यचिकित्सा की दुहाई दी
तो कभी पुष्पक की डींग भरता रहा
उत्तर वाला उत्तरोत्तर बढ़ता रहा
सफ़लता की सीढ़ी चढ़ता ही रहा
ये दुनिया सारी गोल मगर
हर 'गोल' में है उत्तर का सफ़र
उत्तर न हो तो अनुत्तरित प्रश्न रहें
दुनिया में विकास हो न सके
उत्तर में ही उत्तर मिलते हैं
बंद अकल के ताले खुलते हैं
उत्तर-पूरब, दक्षिण-इक्वेटर
इन सबमें है उत्तर बेहतर
30 जून 2013
सिएटल । 513-341-6798
इक वैटर ही रहा
जो दक्षिण में रहा
दबाया हर क्षण ही गया
पूरब वाला भूतपूर्व में रहा
त्रेता-द्वापर के गुण गाता रहा
कभी शल्यचिकित्सा की दुहाई दी
तो कभी पुष्पक की डींग भरता रहा
उत्तर वाला उत्तरोत्तर बढ़ता रहा
सफ़लता की सीढ़ी चढ़ता ही रहा
ये दुनिया सारी गोल मगर
हर 'गोल' में है उत्तर का सफ़र
उत्तर न हो तो अनुत्तरित प्रश्न रहें
दुनिया में विकास हो न सके
उत्तर में ही उत्तर मिलते हैं
बंद अकल के ताले खुलते हैं
उत्तर-पूरब, दक्षिण-इक्वेटर
इन सबमें है उत्तर बेहतर
30 जून 2013
सिएटल । 513-341-6798
4 comments:
"इक्वेटर" और "इक वैटर" का wordplay बढ़िया है!
"उत्तर न हो तो अनुत्तरित प्रश्न रहें
दुनिया में विकास हो न सके
उत्तर में ही उत्तर मिलते हैं
बंद अकल के ताले खुलते हैं"
इन lines में "उत्तर" के दो अर्थ और "उत्तर और प्रशन का साथ में use अच्छा लगा। "अनुत्तरित" शब्द थोड़ा hard लगा पर शब्दकोष देखने पर vocabulary improve हो गयी!:)
ध्यान से पढ़ा तो कविता की हर दो lines में wordplay दिखा। "इकवेटर" और "इक वैटर," "दक्षिण" और "क्षण," पूरब" और "पूर्व," "उत्तर" और "उत्तरोत्तर," - यह एक तरह का wordplay है; "गोल" और "उत्तर" के different अर्थ एक अलग तरह का wordplay है। दोनों अच्छे लगे!
Nice
wonderful analysis!
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