मैं इतनी असहाय हूँ
कि कोई चाहे भी तो
मेरा हाथ नहीं थाम सकता
चाचा
मेरे हाथ
पीले नहीं कर सकते
मैं
हाथ हिला कर
बॉलकनी से 'बाय' नहीं बोल सकती
किसी के गले नहीं लग सकती
चरणस्पर्श नहीं कर सकती
ऐसी हालत में
मेरे लिये
अपने पैरों पे
खड़े होने के अलावा
और रास्ता ही क्या है?
8 अगस्त 2013
मुम्बई । 98713-54745
================
'बाय' = bye
कि कोई चाहे भी तो
मेरा हाथ नहीं थाम सकता
चाचा
मेरे हाथ
पीले नहीं कर सकते
मैं
हाथ हिला कर
बॉलकनी से 'बाय' नहीं बोल सकती
किसी के गले नहीं लग सकती
चरणस्पर्श नहीं कर सकती
ऐसी हालत में
मेरे लिये
अपने पैरों पे
खड़े होने के अलावा
और रास्ता ही क्या है?
8 अगस्त 2013
मुम्बई । 98713-54745
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'बाय' = bye
6 comments:
"हाथ" के साथ कितनी बातें जुड़ी हुई हैं - कविता में पढ़ीं तो ध्यान आयींं!
हमारे अंग हमारा हिस्सा हैं। वो हमें चलने में, काम-काज में मदद करते हैं। हमारी senses भी हमारा हिस्सा हैं। वो हमें दुनिया से interact करवाती हैं। उनका न होना या उन्हें खो देना कोई छोटी बात नहीं है। लेकिन केवल हमारे अंग, हमारी senses ही "हम" नहीं हैं - हमारे अंदर एक spirit है, रूह है - जिसे कोई तोड़ नहीं सकता, कोई छीन नहीं सकता, जो कमज़ोर नहीं है, जो कभी असहाय नहीं होती। चाहें जो भी हो, हमें उस पर हमेशा भरोसा करना चाहिए। वो कभी हमसे अलग नहीं होती...
मुझे "विवाह" फिल्म के end का यह बहुत, बहुत special scene याद आया और यह line कि "पूनम, आज मेरे लिए एक प्रार्थना और करो कि मुझे वो शक्ति मिल सके कि मैं कभी भी तुम्हारे मन को कमज़ोर न पड़ने दूँ"
http://m.youtube.com/watch?v=9FgSOYhP7XI
दुर्घटना कभी भी, किसी के साथ भी हो सकती है - इस पर हमारा कोई control नहीं है। इस कविता से जुड़ा एक और बहुत ही प्यारा गाना:
http://www.youtube.com/watch?v=LxVLKM5oeO8
कम शब्दों का चमत्कार!
इस कविता से कुछ जुड़ी हुई एक और फिल्म: "सदमा" और उसमें गुलज़ार का लिखा एक प्यारा सा गीत - "सुरमई अंखियों में नन्हा मुन्ना एक सपना दे जा रे"
http://m.youtube.com/watch?v=V5qMS-K8eYY&desktop_uri=%2Fwatch%3Fv%3DV5qMS-K8eYY
कविता अच्छी लगी!
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