तो कभी खुशी होती है
फ़ेसबुक की अपडेट्स
कुछ ऐसी होती हैं
जो चहकती थी
महकती थी
बात-बात पे
पोस्ट करती थी
कभी पिकनिक के
कभी राखी के
तो कभी होली के फोटो
पोस्ट करती थी
हर किसी की पोस्ट पे
कमेंट देती थी
हज़ारों फोटो लाईक करती थी
- जब से हाथ पीले हुए हैं
चुप है
पोस्ट कर देती है
जिसमें वो उस नवयुवक के साथ
खड़ी होती है
और एक मुस्कान दे रही होती है
- तुम इतना जो मुस्करा रहे हो
क्या ग़म है जो छुपा रहे हो
तो कभी खुशी होती है
फ़ेसबुक की अपडेट्स
कुछ ऐसी होती हैं
तो कभी मरण की ख़बर होती है
एक ही क्षण में
दो अलग-अलग तरह की खबरें
अब कोई करे भी तो क्या करे
शोक जताए या उल्लास दिखाए?
हम रोबॉट बन जाते हैं
ख़ुद-ब-ख़ुद की-बोर्ड पर अँगूठा थिरकने लगता है
शोक-सम्वेदनाएँ-उल्लास के संदेश निकलने लगते हैं
और एल-सी-डी स्क्रीन की रोशनी के गुल होते ही
अपनी दिनचर्या में खो जाते हैं
या चिट्ठियाँ आती थी
रोज़ के रोज़ इतनी ख़बरें नहीं आती थी
और
फोन करने वाला जानता था कि
माहौल कैसा है
कब कैसी ख़बर देनी चाहिए
तो ऐसी दुविधाएँ नहीं होती थी
एक दूसरे को
जानते-समझते थे
449 दोस्त हैं
लेकिन नाम के
वे कौन हैं
कहाँ रहते हैं
क्या करते हैं
और हम उनसे आखिर जुड़ें तो कैसे जुड़ें?
सिएटल । 513-341-6798