Tuesday, November 11, 2014

होता सु-नाता तो सुनाता कोई

होता सु-नाता तो सुनाता कोई
लोरी गाकर सुलाता कोई

तान छेड़े, ताने न मारे
ऐसे मुझे अपनाता कोई

मेहंदी लगे हाथों की खुशबू
सूंघ लेता मैं जो बू लाता कोई

न ग़म होता, न ग़मी होती
हँसता कोई, हँसाता कोई

तलो तले मेले में आज
गोदी में यूँ तुतलाता कोई

11 नवम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798

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1 comments:

Anonymous said...

"तलो तले मेले में आज, गोदी में यूँ तुतलाता कोई" - so sweet! कविता में simple शब्द हैं, wordplay अच्छा है, और बातें touching हैं। "सु-नाता" और "सुनाता", "तान" और "तानें" बहुत सही तरह से use हुए हैं। यह lines अच्छी लगीं: "तान छेड़े, ताने न मारे ऐसे मुझे अपनाता कोई" , "मेहंदी लगे हाथों की खुशबू सूंघ लेता मैं जो बू लाता कोई"