Wednesday, January 7, 2015

सिर्फ़ लफ़्फ़ाज़ी पर यक़ीं न करें


मुझे इंतज़ार है उस दिन का
जब घड़ियाँ बंद हो जाए
कैलेंडर खो जाए
कम्प्यूटर ख़राब हो जाए
फिर देखूँ कि कौन, किसे, किस बात की
शुभकामनाएँ देता है?

समय बदलने से ही
समय नहीं बदल जाता
इसके लिए आवश्यक है
कर्मठता और सहभागीदारिता

सिर्फ़ फ़ेसबुक की अपडेट से
बिट्स और बाईट्स के आदान-प्रदान से
कुछ नहीं होता

आप पूछेंगे कि
ख़ुशी के दिन इतना रोष क्यूँ ?
क्योंकि ख़ुशी के दिन का आक्रोष हमेशा याद रहता है
इसलिए आप भी याद रखें
और कुछ कर्म करें
सिर्फ़ लफ़्फ़ाज़ी पर यक़ीं न करें

3 जनवरी 2015
सिएटल | 513-341-6798



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1 comments:

Anonymous said...

Time इंसान का बनाया हुआ एक measurement tool है जो हमें बताता है कि जीवन आगे बढ़ रहा है। हमनें nature की rhythm से - चाँद का बढ़ना और घटना, धरती का घूमना, मौसम का बदलना - समय का concept बनाया है और कुछ milestones बना दिए हैं - seconds, minutes, hours, days, months, और years।

अगर nature की rhythm को measure करने के सब साधन गुम हो जाएँ तो हम अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि कितना समय बीत गया है। कोई जन्मदिन या festivals की date नहीं होगी। शायद एक infant का जवान होना या किसी जवान का बूढ़ा होना ही गुज़रते समय की indication देगा। शुभकामनाएं केवल present moment की होंगी - बच्चे का जन्म होना , उसकी पहली मुस्कान, उसका पहला कदम लेकिन हम हर साल जन्मदिन नहीं मना पाएंगे - बस इतना कह सकेंगे कि सर्दी के मौसम में पूर्णिमा के चाँद निकलने के दो दिन बाद इस बच्चे का जन्म हुआ था। गुज़रे दिनों को हम measure नहीं कर पाएंगे तो कोई नया साल नहीं होगा, नए साल की शुभकामनाएं नहीं होंगी । ऐसा जीवन simpler होगा या और complex - यह कहना कठिन है।

कविता में "समय बदलने " का word play अच्छा लगा! आपने ठीक कहा कि empty शब्दों की wishes तो बस एक formality होती हैं! मगर कभी लगता है कि चलो लफ़्फ़ाज़ी ही सही - किसी ने इतना तो किया - कुछ लोग तो लफ़्फ़ाज़ी भी नहीं करते! आक्रोष से कुछ नहीं होता - जो जितना रिश्ता रखे उसी में खुश रह कर सबको प्यार करते जाना अच्छा है।

नए साल की आपको बहुत , बहुत शुभकामनायें।