Monday, February 2, 2015

जनता मोरी मैं नहीं सूट सिलायो


जनता मोरी मैं नहीं सूट सिलायो

मैं चाय बेचवा वारो छोरो
मारो वेतन भी मैंने छाड़्यो
मीडिया वारे हैं सब बैरी
सबने जाल बिछायो

ओबामाजी अमरीका से आए
साथ में अपनी बीवी लाए
मैं ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्य निभायो
फ़ेसबुक वारे अत्याचारी बतायो

मीडिया वारे झूठे पक्के
झूठ को सच करे बकबक बक के
मुझे ही निर्लज्ज कहे
और मुझे ही चुनाव जीतवायो

मोरा अपना कोई नाहि
ना कोई बीवी, ना कोई भाई
सगरा जग है मोरा बैरी
किसीने न मुझे अपनायो

जितनो भी धन मैंने कमायो
सब को सब जनहित लगायो
तिस पर भी इलजाम लगायो
जनता मोरी मैंने ही सूट सिलायो 

(सूरदास से क्षमायाचना सहित)
2 फ़रवरी 2015
सिएटल | 513-341-6798



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1 comments:

Anonymous said...

कविता बहुत ही मज़ेदार लगी! :)Original भजन में जिस भोले अंदाज़ से कान्हा अपनी बात कहते हैं, माँ को तर्क देते हैं, आपने उस tone को बहुत बढ़िया तरीके से preserve किया है और उसी तरह की भाषा में कविता लिखी है - पढ़कर मज़ा आया और हँसी आयी।

मोदीजी के suit पर सच में बहुत चर्चा हुई है लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। इसलिए imagine करना कि वो अपने defense में यह कह रहे हैं , बहुत funny लगा। हर line में defense बहुत बढ़िया है, जैसे:

"मैं चाय बेचवा वारो छोरो
मारो वेतन भी मैंने छाड़्यो
मीडिया वारे हैं सब बैरी
सबने जाल बिछायो"

"जितनो भी धन मैंने कमायो
सब को सब जनहित लगायो
तिस पर भी इलजाम लगायो
जनता मोरी मैंने ही सूट सिलायो"

"ओबामाजी अमरीका से आए
साथ में अपनी बीवी लाए
मैं ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्य निभायो
फ़ेसबुक वारे अत्याचारी बतायो"

Language भी cute है :) "चाय बेचवा वारो छोरो" और "मारो वेतन भी मैंने छाड़्यो" और "तिस पर भी इलजाम लगायो" :)