Wednesday, December 7, 2016

तुम इतने जो 😊लगा रहे हो


तुम इतने जो 😊लगा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
आँखों में नमी, 😂 text में
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

खुल जाएँगे भेद धीरे-धीरे
नाहक हमें समझा रहे हो

जिन गीतों का सच मर चुका है
तुम क्यूँ उन्हें गाए जा रहे हो

भावनाओं का मेल है ये जीवन
भावनाओं से भागे जा रहे हो

(कैफी आज़मी से क्षमायाचना सहित)
7 दिसम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827
tinyurl.com/rahulpoems 

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2 comments:

Digvijay Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 09 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी said...

बढ़िया।