Saturday, January 12, 2019

बचपन के साथी हैं पचपन के पार

बचपन के साथी हैं पचपन के पार


मोटी है तोंद और ग़ायब हैं बाल

फिर भी थमी, और हुई तेज़ रफ़्तार 


जीते हैं सब, किसी ने मानी हार

अपनों को खोया, तो पाया ग़ैरों का प्यार


बंगलो के स्वामी, और दो-तीन हैं कार

पासपोर्ट है सबका, भरी सबने उड़ान


मिलते हैं तो लगता है जैसे मिले कल ही थे यार

बिछड़े तो लगता है जाने अब कब होगी मुलाक़ात 


बचपन के साथी है पचपन के पार


12 जनवरी 2019

सिएटल


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