Thursday, January 3, 2019

इसमें इतना भी क्या सोचना?

क्या हम सचमुच इतने भले हैं
कि सबका भला चाहते हैं?

क्या हम में से कोई भी
पुलिसवाला, डॉक्टर, या वकील नहीं 
जो कि दूसरे की आपदा में 
अपना भला देखता है?

कल यदि किसी सहकर्मी की 
पदोन्नति हो जाए
हमसे आगे निकल जाए
तो क्या हम ख़ुश होंगे कि
हमारी शुभकामनाएँ सफल हुईं?

या हम यूँही
इधर की शुभकामनाएँ 
उधर कर देते हैं
पूरी तरह जानते हुए कि
इन शुभकामनाओं में कोई दम नहीं हैं
मात्र खानापूर्ति है
सब करते हैं 
सो हमने भी कर दी
इसमें इतना भी क्या सोचना?

3 जनवरी 2019
सिएटल

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