दोस्ती होती
तो मिलते-जुलते
दुश्मनी होती
तो एक दूसरे की बुराई करते
मोहब्बत होती
तो छुप-छुप के मिलते
नफ़रत होती
तो कभी न मिलने की क़सम खाते
तो फिर है क्या?
वही जो उससे है
तुमसे है
रिश्ता है भी
और नहीं भी
तुम हो भी
और नहीं भी
छलक जाती हो
कभी सूर्योदय में
तो कभी सूर्यास्त में
कभी धूप में
तो कभी बरसात में
कभी दीप में
तो कभी अंधकार में
30 नवम्बर 2018
सिएटल
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