राम आए नहीं
और नगर प्रज्वलित हो उठा
बात रोशनी की थी
और माचिसें चल गई
एक धोबी की दुत्कार से
कभी आ जाता था परिवर्तन
आज पटाखों के शोर में
पूरी की पूरी क़ौम दब गई
योगी हैं, सो सोचा
योग का प्रयोग ये करेंगे
आशा के विपरीत
फूट पड़ गई
गठबंधन तो है
पर धर्म और शासन का
बात बनने के बजाय
और बिगड़ गई
सबका साथ
सबका विकास
नारा लगाते-लगाते
पार्टी कहाँ भटक गई
राहुल उपाध्याय | 7 नवम्बर 2018 | सैलाना
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