Monday, September 16, 2019

ख़ला जो ख़ालिद है

ख़ला जो ख़ालिद है
ख़ला जो वालिद है
उसी में जीवन
ढूँढने की ज़िद है

चाँद चूमना
तो फ़क़त एक बहाना है
चाँद से भी दूर
दूर तलक जाना है

सोम से मंगल
मंगल से बुध
बुध से गुरू
गुरू से शुक्र-शनि
रवि पर भी जाना है
रवि पर भी रूककर
आराम कहाँ फ़रमाना है

किसी एक के 
गुरुत्वाकर्षण में 
किसी एक के
आगेश में
ठहरे वो 
जो सयाना है

अपना क्या?
 कोई अपना
 कोई बेगाना है
आज यहाँ तो 
कल कहीं जाना है
जीवन जीने का 
तरीक़ा यही जाना है

(अमेरिका में पदार्पण की 33वीं वर्षगाँठ पर)
राहुल उपाध्याय  15 सितम्बर 2019  सिएटल
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ख़ला = शून्यअन्तरिक्ष 
ख़ालिद = अनश्वरअमर
वालिद = पिता

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