मन्दिर तो बन जाएगा
पर उन जूतों का क्या होगा
जो इधर-उधर बिखरे रहते हैं
लाख हिदायत देने पर भी
सुव्यवस्थित नहीं रखे जाते हैं
मन्दिर तो बन जाएगा
पर उन मवेशियों का क्या होगा
जो इधर-उधर मुँह मारते रहते हैं
जिन्हें जो गुड़-रोटी खिलाना चाहते हैं
वे भी डंडे मारने से नहीं चूकते हैं
मन्दिर तो बन जाएगा
पर उन फूलों का क्या होगा
जो बाग़ से उजाड़ दिए जाते हैं
कुछ पल पंडित के हाथ लगते ही
नाली में बहने लगते हैं
मन्दिर तो बन जाएगा
पर उन मिठाइयों का क्या होगा
जिनसे मोटापा बढ़ता रहता है
डायबिटीज़ का घाटा होता है
न खाने पर भगवान का प्रकोप बढ़ता है
मन्दिर तो बन जाएगा
पर वैष्णोदेवी-तिरूपति को टक्कर नहीं दे पाएगा
कृष्ण जन्मभूमि अविवादित है
पर कौन वहाँ के मन्दिर की मान्यता के गुण गाता है
मन्दिर तो बन जाएगा
पर मन कहाँ ख़ुश हो पाएगा?
राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2019 । सिएटल
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