Friday, December 6, 2019

बात ही अलग है

भगवान सब जगह हैं
लेकिन क़तार में सबसे आगे होने की बात ही अलग है

चलने फिरने को रास्ते बहुत हैं
लेकिन पैसे देकर ट्रैडमिल पर चलने की बात ही अलग है

आईसक्रीम से फ़्रीज़ भरा पड़ा है
लेकिन फ़्री के स्कूप की बात ही अलग है

सेवा करने को माँ-बाप बहुत हैं
लेकिन बाढ़-पीड़ितों की सहायता की बात ही अलग है

जीवन जीने की कला सरल है
लेकिन पाँच सितारा आश्रम में गुरूजी से सुनने की बात ही अलग है

राहुल उपाध्याय | 6 दिसम्बर 2019 | सिएटल

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2 comments:

मन की वीणा said...

बहुत सार्थक चिंतन ,कुछ हटकर।

शुभा said...

वाह!!बहुत खूब !!