मैं कुछ कहना चाहता हूँ
लेकिन कहता नहीं
मैं कुछ लिखना चाहता हूँ
लेकिन लिखता नहीं
मैं कुछ भेजना चाहता हूँ
लेकिन भेजता नहीं
मैं ग़ुलाम हूँ अपने भविष्य का
—:—:—:—:—:—:—:—:
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ
विमान भी है
रोका भी किसी ने नहीं
धन भी है
करने में फिर भी असमर्थ हूँ
रह जाता हूँ मन मसोस कर
नाक-कान-आँख बंद कर
चादर सर तक ओढ़ कर
हर अख़बार से मुँह मोड़कर
ताले में स्वाभिमान रखकर
हूँ लेकिन नहीं भी
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2019 । सिएटल
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