Friday, May 31, 2024

मैं ख़ुशक़िस्मत हूँ

जब भी मैं शैम्पू करता हूँ 

पाउच से नहीं 

बोतल से

बहुत ख़ुशी होती है


ज़मीन से जुड़े होने का

यही फ़ायदा है

हर दिन ख़ुशियों से भरा होता है 


कभी लोटा लेकर 

खुले मैदान में जाता था

आज पाश्चात्य शैली के शौच में

गद्गद हो जाता हूँ 


गर्मी में जब करोड़ों झुलस रहे हैं 

मैं शिमला जैसी शीत बयार

सिएटल में पा कर

आनन्दित हो उठता हूँ 


मैं खुशकिस्मत हूँ कि

मैं गरीब पैदा हुआ 


राहुल उपाध्याय । 31 मई 2024 । सिएटल 


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