हज़ारों वर्षों में
न जाने कितना
विकास हो चुका है
और आज भी
नाव बाँधी जाती है
एक जंग लगे खूँटे से
एक रस्सी से
एक आदमी द्वारा
कोई मशीन नहीं
कोई उपकरण नहीं
कोई ऑटोमेशन नहीं
कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं
राहुल उपाध्याय । 4 अक्टूबर 2024 । कवाई, हवाई
हज़ारों वर्षों में
न जाने कितना
विकास हो चुका है
और आज भी
नाव बाँधी जाती है
एक जंग लगे खूँटे से
एक रस्सी से
एक आदमी द्वारा
कोई मशीन नहीं
कोई उपकरण नहीं
कोई ऑटोमेशन नहीं
कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं
राहुल उपाध्याय । 4 अक्टूबर 2024 । कवाई, हवाई
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