Sunday, November 2, 2025

और क्या अहद-ए-वफ़ा होते हैं

और क्या अहद-ए-वफ़ा होते हैं 

लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं 


हर कोई साथ है पानी की तरह 

टिकने वाले न जमा होते हैं 


हाथ उठते ही नहीं दुआ में मेरे 

हाथ इसलिए तो न अता होते हैं 


अब तलक प्यार है हमें उनसे 

बस इसलिए वो ख़फ़ा होते हैं 


मिलना-जुलना, हँसते-हँसाते रहना 

सारे रोगों की दवा होते हैं


राहुल उपाध्याय । 2 नवम्बर 2025 । सिएटल 

(पहली दो पंक्तियाँ आनन्द बक्षी द्वारा लिखे इस गीत से ली गईं हैं

https://youtu.be/SlRtQMkTkvQ?si=9-Q6Pgg2JImzw0he

)

अहद-ए-वफ़ा = वफ़ा की दुनिया 

अता = अनुदान 

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