Monday, November 24, 2025

मैं इस बार थोड़ा वैट करूँगा

मैं इस बार थोड़ा वैट करूँगा 

जल्दबाज़ी में न दुख व्यक्त करूँगा 

किसी के व्यंग्य का ना पात्र बनूँगा 

सारी रील्स देखकर पुष्टि करूँगा 

चिता ठंडी होने तक धैर्य रखूँगा 


रोना-धोना बेकार न जाए

इसलिए आँसू रोक रखूँगा 

जब सब कह चुके होंगे तब कहूँगा 

भीड़ से अलग मैं अपनी बात रखूँगा 

एक से बढ़कर एक याद जुटाकर

सबसे अलग एक संस्मरण लिखूँगा 


फिर कहीं घर वो लौट न आए

मेहनत सारी बेकार न जाए 

बेटे मुझ पर न लानत भेजे 

परिजन मुझे न एटिकेट सिखाए

इसलिए इस बार मैं वैट करूँगा 

चिता ठंडी होने तक धैर्य धरूँगा 


राहुल उपाध्याय । 24 नवम्बर 2025 । सिएटल 




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