बे सिटी, मिशिगन - 17 जनवरी को जब पड़ोसी 93 वर्षीय मारविन शूर के घर के अंदर गए, खिड़कियों पर बर्फ़ जमी हुई थी, नलके से बर्फ़ लटक रही थी, और शयन कक्ष के फर्श पर शूर मृत पाए गए - चार कपड़ों की पर्त के उपर उन्होंने एक गर्म जैकेट भी पहन रखी थी। वे ठँड से ठिठुर कर मरे - धीरे-धीरे और दर्द के साथ - ऐसा अधिकारियों ने बताया। बिजली कंपनी के एक विशेष मीटर लगाने के दो दिन बाद यह दु:खद घटना घटी। चूँकि उन्होंने बिजली के पिछले चार महीनों के बिल (कुल $1000 के करीब) नहीं चुकाए थे इसलिए यह मीटर लगाया गया था।
सबसे दु:ख की बात तो यह है कि शूर के पास प्रचुर मात्रा में धन था। एक पड़ोसी के अनुसार, उनकी किचन की मेज पर बिल के ढेर के साथ डाँलर भी रखे हुए थे। शूर के भतीजे ने बताया कि शायद उनकी याददाश्त कमज़ोर हो रही होगी। भतीजे ने यह भी बताया कि दो साल पहले शूर ने उसे बताया था कि उनके पास $600,000 बैंक में है।
"आज के कंप्यूटर युग में कोई तो तरीका होगा जिससे कि बिजली वाले पता लगा सके कि किसी की उम्र कितने से उपर है", ऐसा एक पड़ोसी ने कहा।
शूर सेवा-निवृत्त थे और अकेले रहते थे। पत्नी की दो साल पहले मृत्यु हो गई थी। उनके कोई सन्तान नहीं थी।
13 जनवरी को, चार महीने तक बिजली का बिल न भरने के बाद, बिजली कम्पनी के एक कार्यकर्ता ने शूर के घर पर बिजली का एक नया मीटर लगाया। यह मीटर एक फ़्यूज़ की तरह काम करता है और जब बिजली का उपयोग एक निर्धारित स्तर से उपर उठ जाता है तो घर की बिजली गुल हो जाती है। बिजली तब तक बहाल नहीं होती जब तक कि घर में रहने वाले बाहर जा कर इसे फिर से चालू न करें। इस मीटर के लगाने के बाद बिजली कम्पनी ने शूर को आमने-सामने बात कर के इसकी सूचना नहीं दी। सिर्फ़ दरवाजे पर एक कागज़ छोड़कर चले गए। लेकिन ठंड के दिनों में शूर कभी-कभार ही घर से बाहर निकलते थे। मीटर लगाने के कुछ समय बाद, उनके घर की बिजली चली गई और शूर ने उसे फिर से चालू नहीं किया।
15 जनवरी के दिन बाहर का तापमान -9 से 12 डिग्री फ़ेरेनहाईट था और अनुमान है कि उनकी मौत उसी दिन हुई। ओवन का दरवाजा खुला हुआ था - शायद ठंड से जूझने के लिए।
डॉ. कनु वीरानी ने कहा कि "शरीर ज़िंदा रहने के लिए एक ज़बरदस्त लड़ाई लड़ता है। शूर एक धीमी और दर्दनाक मौत मरें।"
"यह निश्चित रूप से एसी स्थिति नहीं है, जहाँ पैसा एक मुद्दा है. वे नियमित रूप से पिछले पचास वर्षों से बिल का भुगतान करते आ रहे थे। अगर कम्पनी अपने ग्राहको को जानती-पहचानने की कोशिश करती तो ये त्रासदी न होती। दरवाजे पर दस्तक दे कर देखती तो सही कि सब कुछ ठीक है या नहीं।" ऐसा 67 वर्षीय वालवर्थ ने कहा।
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