होली आई और होली गई है
लेकिन 'हैप्पी होली' न हमसे बोली गई है
भावनाओं की कद्र कौन करता है यारो
भाषा के पलड़े में भावना तोली गई है
हम ही सही है और तुम सब गलत हो
कह कह के हम पे दागी गोली गई है
हिंदी हो, उर्दू हो या भाषा हो कोई
इनके हिमायतियों की पोल कब खोली गई है
हमसे न पूछो क्यों हम निराश हैं इतने
चाहा जिसे उसकी उठा दी डोली गई है
सिएटल । 425-445-0827
1 मार्च 2010
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हैप्पी होली = Happy Holi
Monday, March 1, 2010
'हैप्पी होली' न हमसे बोली गई है
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:26 AM
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3 comments:
होली पर आपकी बेहतर रचना और होली, दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं....आपका स्नेहाकांक्षी ....www.sansadji.com
बहुत बढ़िया...:)
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
आशा है कि चुप रहने के बावजूद होली खुशनुमा रही होगी । कविता पसंद आई ।
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