Sunday, March 7, 2010

जब तुम आई थी


जब तुम आई थी
तब कुछ कोपलें उग आई थी
और वसंत का आगमन हुआ था

अब वो फूल बन गई हैं
और शूल सी चुभती है

तुम मेरे कितने पास थी
और मैं तुमसे कितना दूर!

***

कहा था कि
फिर मिलेंगे हम

लेकिन
जैसे मिले थे कल
क्या फिर मिलेंगे हम?

***

झूठ है कि जीवन क्षणभंगुर है!

तुम चंद पलों के लिए आई थी
और अब मैं
अनगिनत
लम्बी रातें
गुज़ार रहा हूँ
तुम्हारी खुशबू
तुम्हरा अहसास
और तुम्हारी हर साँस
ओढ़ कर

झूठ है कि जीवन क्षणभंगुर है!

सिएटल । 425-445-0827
7 मार्च 2010

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1 comments:

poonam said...

nice poem.It is true that emotions make life longer.