आप थे
तो
ख़्वाब थे
पुरज़ोर
मिज़ाज़ थे
अब आप नहीं है तो?
ख़्वाब सब सराब है
शराब सिर्फ़ आब है
गीत नि:शब्द साज़ हैं
आप के वियोग में
कहकशाँ भटक गए
आप ही के सोग में
दिन में तारें दिख गए
न नींद थी, न चैन था
न नींद है, न चैन है
न था तो मुझको चैन था
न है तो मैं बेचैन हूँ
माना कि वक्त सख्त है
सब्ज़ बाग ज़र्द है
पर हर वक्त का भी वक्त है
और होता एक दिन खत्म है
बाग जो उजड़ गए
पत्ते जो बिखर गए
दीप जो झुलस गए
एक दिन जलेगे वो
एक दिन मिलेंगे वो
एक दिन खिलेंगे वो
आएगा बसंत फिर
हो जाएगा बस अंत फिर
हमारे इस बिछोह का
योग के वियोग का
प्यार के विरोध का
11 दिसम्बर 2012
सिएटल । 513-341-6798
तो
ख़्वाब थे
पुरज़ोर
मिज़ाज़ थे
अब आप नहीं है तो?
ख़्वाब सब सराब है
शराब सिर्फ़ आब है
गीत नि:शब्द साज़ हैं
आप के वियोग में
कहकशाँ भटक गए
आप ही के सोग में
दिन में तारें दिख गए
न नींद थी, न चैन था
न नींद है, न चैन है
न था तो मुझको चैन था
न है तो मैं बेचैन हूँ
माना कि वक्त सख्त है
सब्ज़ बाग ज़र्द है
पर हर वक्त का भी वक्त है
और होता एक दिन खत्म है
बाग जो उजड़ गए
पत्ते जो बिखर गए
दीप जो झुलस गए
एक दिन जलेगे वो
एक दिन मिलेंगे वो
एक दिन खिलेंगे वो
आएगा बसंत फिर
हो जाएगा बस अंत फिर
हमारे इस बिछोह का
योग के वियोग का
प्यार के विरोध का
11 दिसम्बर 2012
सिएटल । 513-341-6798
2 comments:
"न था तो मुझको चैन था
न है तो मैं बेचैन हूँ" - कितनी सच बात है - अगर कोई हमसे कभी न मिले तो ठीक है, पर अगर मिले और फिर बिछड़ जाये तो बहुत दुःख होता है.
वियोग की feeling को बहुत सुन्दर तरह से
describe करती है यह कविता, और मुश्किल समय में आशा की किरण भी दिखाती है.
इस से 1942: A Love Story का एक गाना याद आया:
"यह सफ़र बहुत है कठिन मगर,
न उदास हो मेरे हमसफ़र...
यह सितम की रात है ढलने को,
है अँधेरा ग़म का पिघलने को,
ज़रा देर इसमें लगे अगर,
न उदास हो मेरे हमसफ़र..."
बहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको
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