Thursday, March 21, 2013

रंगभेद

भौहें काली
बाल सफ़ेद
खून लाल-लाल है
कौन कहता है कि
ईश्वर की सत्ता में
होता नहीं रंगभेद है?


गुलाब गुलाबी
गेंदा पीला
और कमल का रंग सफ़ेद है
कौन कहता है कि
ईश्वर की सत्ता में
होता नहीं रंगभेद है?


गोरे-काले बादल सारे
होते भिन्न-भिन्न है
काले बादल
भर दें पोखर
भरते ओर-छोर है
कौन कहता है कि
ईश्वर की सत्ता में
होता नहीं रंगभेद है?


-x-x-x-

कौन कहता है कि
ईश्वर की सत्ता में
होता रंगभेद है?


अंदर देखो
अंदर झांको
जिसका न कोई रंग है न रूप है
वही तो वास्तव में यारो
ईश्वर का स्वरूप है


सतह से हटो
तह में जाओ
तो पाओगे कि
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन का
न कोई रंग है न रूप है
और वही तो यारो
तुममें
मुझमें
कण-कण में मौजूद है


उन्हीं से जुड़-जुड़ के
बना हम सब का स्वरूप है


वो तो आँख की कमज़ोरी है
जो रोशनी के मिश्रण को
दे देती कई नाम और रूप है
वरना
अंदर देखो
अंदर झांको
तो बस कोरी-कोरी धूप है


कौन कहता है कि
ईश्वर की सत्ता में
होता रंगभेद है?


21 मार्च 2013
सिएटल ।
513-341-6798

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2 comments:

Anonymous said...

ईश्वर की सत्ता में अलग-अलग रंग हैं भी और नहीं भी हैं - यह कविता एक गहरी बात को simple examples से बताती है. Very nice!

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूबसूरत भाव