अगरबत्ती जली है
तो राख भी होगी
अगर बत्ती जली है
तो रात भी होगी
है दुनिया मेरी
कुछ ऐसी ही यारो
कि आज शह है
तो कल मात भी होगी
जन्नत, जहन्नुम
या दोजख है जो भी
सोचता हूँ इनसे
कभी मुलाकात भी होगी
आँखों में किसी की
कोई कब तक रहेगा
सुबह होते ही
आँखें साफ़ भी होगी
मुझको यकीं था
उसको नहीं
कि ज़ुल्फ़ों में उसकी
मेरी शाम भी होगी
5 मार्च 2013
सिएटल । 513-341-6798
तो राख भी होगी
अगर बत्ती जली है
तो रात भी होगी
है दुनिया मेरी
कुछ ऐसी ही यारो
कि आज शह है
तो कल मात भी होगी
जन्नत, जहन्नुम
या दोजख है जो भी
सोचता हूँ इनसे
कभी मुलाकात भी होगी
आँखों में किसी की
कोई कब तक रहेगा
सुबह होते ही
आँखें साफ़ भी होगी
मुझको यकीं था
उसको नहीं
कि ज़ुल्फ़ों में उसकी
मेरी शाम भी होगी
5 मार्च 2013
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
"अगरबत्ती" और "अगर बत्ती' का word play अच्छा लगा।
कविता intense है, specially last two stanzas. कुछ similar बात आपने Nov 23, 2012 की कविता "मेमोरी रिसेट" में भी कही थी:
"...इन सब का
एक दिन
होगा अंत
जो जन्मता है
वो मरता है
जो प्यारता है
वो ग़मता है"
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