क्या भूलूँ
क्या मैं याद करूँ
पग-पग का है अहसास मुझे
कई प्रधानमंत्री गए
कई प्रधानमंत्री आए
कई राष्ट्रपति गए
कई राष्ट्रपति आए
इन सब का मुझे कोई भास नहीं
पर
कब किसने मेरी बाँह थामी
कब किसका मैंने साथ दिया
इन सबका है अहसास मुझे
पग-पग का है अहसास मुझे
चला था नीड़ से नीड़ निर्माण की ओर
पता न चला कब टूटी डोर
रात भयावह सी आती है
माँ की ममता चीत्कारती है
सुबह होते-होते
तस्वीर बदल सी जाती है
घड़ी के काँटों में मैं फँस जाता हूँ
कब ह्रास हुआ
कब हास हुआ
इन सबका है अहसास मुझे
पग-पग का है अहसास मुझे
क्या कर्म मेरा
क्या वर्ण मेरा
उत्तर क्या
ये प्रश्न मेरा
पश्चिम में क्यूँ पूरब के ख़्वाब आते
घर होते हुए क्यूँ हम बेघर हो जाते
एक-एक प्रश्न है याद मुझे
पग-पग का है अहसास मुझे
क्या भूलूँ
क्या मैं याद करूँ
पग-पग का है अहसास मुझे
(घर छोड़ने की 35 वीं वर्षगाँठ पर)
25 जुलाई 2017
सिएटल | 425-445-0827
नीड़ = घोंसला, घर
ह्वास = घिस जाना, कम हो जाना, घट जाना
हास = परिहास, हँसी
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