Friday, June 30, 2017

इन्द्रधनुष का गणित

इन्द्रधनुष का गणित

जबसे समझ में आया

गार्डन होज़ के फ़व्वारे को

घुमा-फिरा के 

इन्द्रधनुष बना लेता हूँ


अब वो मज़ा कहाँ

भाग-भाग के

देखने का

दिखाने का

अड़ोसी-पॾोसी को

बताने का


अब रंगीं खिलौने भी

बेरंग से लगते हैं

जादूगरी के वीडियों भी

बचकाने से लगते हैं


वही कबूतर

वही रूमाल

वही लड़की

वही आरी


सब कुछ वही है

कुछ भी नया नहीं है


ग़म और ख़ुशी 

सब देख चुके हैं

पॉवर बदलते

बाईफोकल लैंस


कभी बहुत दु: हुआ था

छतरी के खोने पे

आज कोई इंसान भी चला जाए

तो सोचता हूँ

क्या रखा है रोने-धोने में 


इन्द्रधनुष का गणित

जबसे समझ में आया ...


30 जून 2017

सिएटल | 425-445-0827


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