एक अरसा हुआ मैं रोया नहीं
खोने को था जो खिलौना नहीं
एक भी रात नहीं जब मैं सोया नहीं
खोने को था कोई सोना नहीं
एक भी सुबह नहीं जब मैं जागा नहीं
सपना सुहाना कोई ढोया नहीं
मस्त हूँ, स्वस्थ हूँ, तटस्थ हूँ
टूटे सम्बन्धों को कभी जोड़ा नहीं
सैलानी हूँ, और रहूँगा वही
कब चल दूँ कोई भरोसा नहीं
8 जुलाई 2018
सिएटल
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